सपा-बसपा के कार्यकर्ता करें एकजुट होकर काम
मायावती ने बसपा विधायकों और जोनल कॉआर्डिनेटरों के साथ लखनऊ में हुई बैठक में साफ कह दिया है कि सपा-बसपा के सभी कार्यकर्ता एकजुट होकर काम करें। जिससे 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा के कड़ी टक्कर दे सकें। लोकसभा में BJP को सिर्फ 31 फीसदी ही वोट मिले थे। बीजेपी तो एक सोच सांप्रदायिक वाली पार्टी है। भाजपा ने राज्यसभा चुनाव में दलित प्रत्याशी को हराने के लिए रणनीति बनाई थी। क्योंकि सपा-बसपा के गठबंधन से भाजपा बहुत घबराई हुई है।
मायावती ने भाजपा पर किया प्रहार
बैठक में मायावती ने कहा है कि पिछले साढ़े चार सालों के बीजेपी कार्यकाल में केवल दलितों के नाम पर नाटक किया गया है। बसपा सुप्रीमो ने कहा है कि मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीआर आंबेडकर की बात करते हैं लेकिन उनकी मानसिकता बीआर आंबेडकर के सख्त खिलाफ है। जिसके खिलाफ वे खड़े हुए थे। इसी कारण से भाजपा और आरएसएस को पिछले दशकों में सत्ता से बाहर रही थी। इस बार के राज्यसभा चुनाव में बीएसपी प्रत्याशी भीमराव अंबेडकर को राज्यसभा चुनाव में पराजित के लिए भाजपा ने एक बड़ी रणनीति तैयार की थी। मायावती ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि सपा-बसपा अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए नहीं बल्कि बीजेपी के कुशासन के खिलाफ लड़ रही है।
लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा को जीतने से रोकेंगी मायावती
मायावती ने कहा कि जो लोग बसपा-सपा के गठबंधन पर अलग-अलग टिप्पणियां कर रहे हैं। मायावती उनको बताना चाहती हैं कि सपा-बसपा का यह गठबंधन व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं बल्कि जनता के कल्याण के लिए किया गया है। यह भाजपा की गलत नीतियों के खिलाफ है। हमारे गठबंधन का दिल से देश में स्वागत किया गया है। हमारे ऊपर बीजेपी की बेकार की टिप्पणियों का कोई असर नहीं पड़ने वाला है। 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में केंद्र सरकार में भाजपा को आने से रोक देंगे।
भाजपा के हो सकती है बड़ी चुनौती
मायावती ने कहा है कि 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ मुकाबला करने के लिए सपा-बसपा का गठबंधन इतना मजबूत होगा कि भाजपा को भी एक बड़ी चुनौती लगेगी। उपचुनाव में दोनों सीटों पर साथ आने का फायदा भी मिला है। दोनों पार्टियों के पास अपने-अपने मजबूत वोट बैंक है। ऐसे में सपा-बसपा के बीच गठबंधन होता है तो बीजेपी के लिए 2014 जैसा नतीजा दोहराना एक बड़ी चुनौती हो सकती हैं।
गेष्ट हाउस कांड के 23 साल बाद बेहतर हो रहे रिश्ते
बता दें कि सपा-बसपा के बीच लखनऊ गेष्ट हाउस कांड के होने के 23 साल बाद रिश्ते बेहतर साबित हो रहे हैं। यूपी में हुए फुलपुर-गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव में बसपा ने सपा के उम्मीदवारों को समर्थन किया था। इसका नतीजा रहा था कि दोनों सीटों पर सपा उम्मीदवारों ने ही जीत हासिल की थी। इतना ही नहीं भाजपा के दुर्ग कहे जाने वाले गोरखपुर में भी बीजेपी 28 साल के बाद लोकसभा का चुनाव हार गई। इसके बाद भी सपा ने राज्यसभा चुनाव में बसपा उम्मीदवार को समर्थन दिया था लेकिन बसपा उम्मीदवार की जीत नहीं हो पाई। इसके बावजूद दोनों दलों ने सपा बसपा गठबंधन को आगे बढ़ाने का ऐलान किया है। सपा-बसपा के बीच बढ़ती नजदीकियों में किसी तरह की कोई दरार नहीं आएगी।