बसपा प्रमुख मायावती (Mayawati) ने सर्वदलीय बैठक को छलावा बताया है। उन्होंने कहा कि सर्वदलीय बैठक वास्तव में गरीबी, महंगाई, बेरोजगारी और बढ़ती हिंसा जैसी समस्याओं से ध्यान बांटने का प्रयास व छलावा है।
ईवीएम के प्रति जनता का विश्वास चिन्ताजनक एक देश, एक मुद्दे पर बुलाई गई बैठक में न जाने के फैसले पर ट्वीट करते हुए मायावती ने कहा कि बैलेट पेपर के बजाए ईवीएम के माध्यम से चुनाव की सरकारी जिद से देश के लोकतंत्र व संविधान को असली खतरे का सामना है। ईवीएम के प्रति जनता का विश्वास चिन्ताजनक स्तर तक घट गया है। ऐसे में इस घातक समस्या पर विचार करने के लिए अगर सर्वदलीय बैठक बुलाई गई होती, तो वे जरूर उसमें शामिल होतीं।
विपक्षी दलों ने किया किनारा एक देश, एक चुनाव की बैठक में मायावती के अलावा समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav), तेलगु देशम पार्टी के चंद्रबाबू नायडू, तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) भी शामिल नहीं हुए। इन सभी ने भी प्रधानमंत्री मोदी द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में जाने से किनारा किया। आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल भी इस बैठक में शामिल नहीं हुए। वहीं एनसीपी चीफ शरद पवार ने सर्वदलीय बैठक में शामिल होने का मन बनाया।
ममता ने कही ये बात दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) बैठक में अपनी जगह अपने प्रतिनिधि राघव चड्डा को भेजेंगे। चड्ढा को हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में दक्षिण दिल्ली से उम्मीदवार बनाया गया था। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी बैठक में शामिल होने से इंकार कर दिया। उन्होंने सरकार से ‘एक देश, एक चुनाव’ को जल्दबाजी में लागू करने की बजाय उस पर श्वेत पत्र तैयार करने को कहा। उन्होंने पत्र के जरिये कहा कि ‘एक देश, एक चुनाव’ जैसे संवेदनशील और गंभीर विषय में कम समय में जवाब देना न्याय नहीं होगा। इस विषय पर संवैधानिक और चुनाव विशेषज्ञों के साथ-साथ पार्टी सदस्यों के साथ विचार-विमर्श की जरूरत है। ममता ने कहा कि इस मामले में जल्दबाजी करने की बजाय सभी राजनीतिक दलों को श्वेत पत्र भेजकर उनकी राय ली जाए।
इस वजह से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक बता दें कि सर्वदलीय बैठक (One Nation One Election Meeting) का हिस्सा बनने के लिए मोदी ने उन सभी प्रमुखों को बुलाया, जिनके लोकसभा या राज्यसभा में सदस्य है। यह बैठक 2022 में आजादी के 75वें वर्ष पूरे होने के जश्न, महात्मा गांधी के इस साल 150वीं जयंती को मनाने समेत कई अहम मुद्दों पर है।