उन्होंने कहा कि पौधरोपण का विश्व रिकॉर्ड बनाने और सुर्खियां बटोरने के लिए सरकार करोड़ों रुपए फूंक देती हैं, लेकिन रोपे गए पौधों को संरक्षित रखने और उनकी गिनती करने पर कोई ध्यान ही नहीं है। विगत वर्षों में करोड़ रुपए खर्च करके जिन पौधों को रोपित किए जाने का दावा किया गया है उसका सत्यापन कराया जाए। क्या वह पौधे लगे भी थे,यह पता किया जाए कि आखिर वे पौधे जीवित हैं या मृत। सरकारी तामझाम, प्रचार अभियान और भारी-भरकम धनराशि खर्च करने के बावजूद ये पौधे पेड़ नहीं बन सके और न ही बनने की प्रक्रिया में हैं।
कहीं वृक्षारोपण के नाम पर सरकारी धन का दुरुपयोग, लूट और भ्रष्टाचार तो नहीं हो रहा क्योंकि करोड़ों की संख्या में पौधे रोपित होने के बावजूद प्रदेश की जमीने खाली और बंजर दिखाई दे रही। सरकार द्वारा रोपित पौधे गए कहां यदि रोपित पौधे नहीं पाए जाते हैं तो सम्बन्धित अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवाकर सम्बन्धित अधिकारियों से धन की वसूली करवायी जाए।