डबल्यूएचओ की वेब साइट पर दी गई जानकारी के अनुसार मंकी पाक्स की शिकायत में रोगी को ठंड लगने के साथ तेज बुखार, मांसपेशियों में दर्द, जकड़न, कमजोरी महसूस होती है। साथ ही लिम्फ नोड्स (लसीका ग्रंथियों) में सूजन आने लगती है। संक्रमण के पांच दिनों के अंदर चेचक जैसे निशान आ जाते हैं। जिसमें कभी कभी सूजन ज्यादा होती है।
कोरोना गाइड लाइन से मिली छूट के बाद मंकी पाक्स का खतरा
देश भर में कोरोना की गाइड लाइन से मिली हुई आंशिक छूट से लोगों ने थोड़ी राहत ली थी कि, मंकी पॉक्स संक्रमण का खतरा मंडराने लगा है। जिसको लेकर जालौन स्वास्थ्य महकमा अलर्ट हो गया है। रैपिड रेस्पॉन्स टीमों को निगरानी में लगा दिया है। इसके साथ ही कंट्रोल रूम का नंबर जारी किया गया है और अस्पतालों में बेडो की पर्याप्त संख्या को रिजर्व किया गया है।
उत्तर प्रदेश में मंकीपाक्स को लेकर सरकारी स्तर पर अभी बाढ़ वाले जिलों पर अधिक फ़ोकस किया गया है। जिससे बाढ़ के साथ आने वाली बीमारियों से मंकी पाक्स के मरीजों को दूर रखा जाए। इसमें प्रमुख तौर पर गोरखपुर, प्रयागराज, आजमगढ़, कुशीनगर, कानपुर, हमीरपुर, जालौन, इटावा, औरैया, मिर्जापुर जैसे जिले शामिल हैं। वहीं पश्चिमी यूपी जहां गाजियाबाद में संदिग्ध मरीज मिला है वहाँ भी अस्पतालों में जांच सुविधाएं बढ़ाते हुए अलग बेड करवा दिया गया है।