वाराणसी-दिल्ली रेलमार्ग पर हर साल 600 से ज्यादा की मौत
भारत की सबसे तेज रेलगाड़ी वंदे भारत एक्सप्रेस इसलिए भी सुर्खियों में है कि आवारा जानवर सबसे ज्यादा इसकी चपेट में आ रहे हैं। इटावा, भरथना, कानपुर, प्रयागराज आदि भदोही जिलों में इस रेलगाड़ी की टक्कर सांड़, गाय और नीलगाय से हो चुकी है। इस दुर्घटना में मवेशियों की या तो कटकर मौत हो गयी या फिर वे बुरी तरह से घायल हो गए। आगरा के किसान भूरी सिंह आवारा मवेशियों को खदेड़ते-खदेड़ते रेल पटरी पर आ गए और जान गंवा बैठे। इसी 18 जनवरी की बात है। हमीरपुर के रागौल रेलवे स्टेशन के पास रेलगाड़ी से कटकर 25 मवेशियों मौत हो गयी। रेल पटरियों पर आकर मरने वाले मवेशियों के संबंध में रेलवे का आंकड़ा चौकाने वाला है। सिर्फ वाराणसी-दिल्ली रेलमार्ग पर हर साल 600 से अधिक मवेशियों की रेल पटरियों पर कटकर मौत हो जाती है। इससे रेलवे के समय और धन का तो नुकसान होता ही है, रेलगाडिय़ों के वक्त पर गंतव्य तक न पहुंच पाने पर यात्रियों के गुस्से का शिकार होना पड़ता है।
यूपी के बाहर भी समस्या
आवारा मवेशियों से सिर्फ यूपी में ही परेशानी है ऐसी बात नहीं। रेलवे के अनुसार राजस्थान-दिल्ली-हरियाणा रेलमार्ग पर पलवल और धौलपुर के 190 किलोमीटर के रास्ते में बीते पांच महीनों में 245 आवारा मवेशियों की मौत हुई। राजधानी, शताब्दी, गतिमान, दुरंतो और ताज एक्सप्रेस जैसी कुछ तेज रफ्तार वाली गाडिय़ों की चपेट में आकर मवेशी कटकर मर गए।
गो संरक्षण केंद्र नाकाफी
गोरक्षा के नाम पर गांवों और कस्बों में गोवंश की खरीदी बिक्री बंद है। ऐसे में आवारा मवेशियों का झुंड खेतों, सडक़ों और रेलपटरियों की तरफ पहुंचता है। यह भीड़ हादसों को जन्म देती है। योगी सरकार ने 10 जनवरी तक आवारा मवेशियों को कांजी हाउस में बंद करने का निर्देश दिया था। लेकिन, बेतहाशा बढ़ते मवेशियों की तुलना में गो संरक्षण केंद्र हैं ही नहीं। ऐसे में इन्हें कहां रखा जाए यह बड़ी समस्या है। सरकार के आंकड़ों पर यकीन करें तो 10 जनवरी तक 75 जिलों में दस लाख से अधिक अवारा जानवर पकड़ेे गए। लेकिन, इन्हें रखने के लिए न तो पर्याप्त गोसदन हैं न ही कांजी हाउस।
632 करोड़ के बजट पर अमल मई के बाद
राज्य सरकार चालू वित्तीय वर्ष में मदिरा की बिक्री पर कर लगाकर 165 करोड़ रुपये हासिल करेगी। इसके अलावा ग्रामीण इलाकों में गोशालाओं के निर्माण पर 247.60 करोड़ खर्च होने हैं। 200 करोड़ का बजट शहरी क्षेत्रों में कान्हा गोशालाओं के निर्माण पर खर्च होना है। इसी तरह कांजी हाउस के निर्माण पर 20 करोड़ खर्च किया जाएगा। कुल मिलाकर 632.60 करोड़ रुपया खर्च गोवंश संरक्षण पर किया जाना है। नए वित्तीय वर्ष में बजट का आबंटन किया जाएगा। मार्च से लेकर मई तक आचार संहिता प्रभावी रहेगी। इसके बाद जून-जुलाई से गोशालाओं के निर्माण पर कार्य शुरू होगा। तब तक चाहकर भी आवारा पशुओं को खुला घूमने देने की मजबूरी होगी।
सड़कों पर बढ़ीं दुर्घटनाएं
आवारा जानवरों की वजह से हाइवे और मुख्य मार्गों व गलियों में सुबह से शाम तक मवेशियों का जमावड़ा लगा रहता है। जिससे लगातार दुर्घटनाएं हो रही हैं। कभी-कभी तो सांडों की लड़ाई में वाहन चालक चपेट में आ जाते हैं। सडक़ों पर बैठे मवेशी वाहनों की चपेट में आकर मर रहे हैं। दिन में तो वाहन चालक बचकर निकल जाते हैं लेकिन रात में बड़े वाहन टक्कर मार कर चले जाते है और कोई देखता तक नहीं है।
रेल पटरियों पर नाचती मौत
2017-18 और 2018-19
-4,317 मवेशियों की रेलगाडिय़ों से टक्कर, अधिकतर मामलों में जानवरों की मौत
-गाजियाबाद-मुग़लसराय रेल रूट- 14,407 रेलगाडिय़ां प्रभावित- 2,566 मिनट की देरी
उत्तर-मध्य रेलवे, अप्रैल 2018 से अगस्त 2018 के बीच
-1,300 मवेशियों की रेलगाडिय़ों से कटकर मौत
2015-16 में समूचे देश में रेल गाडिय़ों से कटने के 2,183 मामले
-2017-018 में 10,105 मवेशी कटकर मर गए पूरे देश में
-अप्रैल 2018 से अगस्त 2018 के बीच 6,900 मवेशी ट्रेन की चपेट में आकर मरे
स्रोत- रेल मंत्रालय
क्या है उपाय
पटरियों के किनारे घेराबंदी मवेशियो की जान बचाने का सर्वोत्तम उपाय है। लेकिन यह बहुत खर्चीला निर्णय होगा। ऐसे में गोरक्षा के नाम पर बनाए गए कानूनों की समीक्षा करनी होगी। आवारा और निष्प्रयोज्य मवेशियों की खरीद बिक्री को बढ़ाव देना होगा।
-अभिषेक निरंजन, गोसंरक्षणसेवी