वर्तमान में ऑस्टियोआर्थराइटिस के लिए कोई व्यवहारिक उपचार उपलब्ध नहीं है। भारत में 39 प्रतिशत लोग ऑस्टियोआर्थराइटिस से पीड़ित हैं। इसमें से 65 वर्ष से अधिक की 45 प्रतिशत महिलाओं में इसके लक्षण पाये गए हैं तथा 70 प्रतिशत में एक्स-रे रिपोर्ट के माध्यम से ऑस्टियोआर्थराइटिस होने के प्रमाण मिले हैं। ऑस्टियोआर्थराइटिस से ग्रसित, रजोनिवृत्त महिलाओं में सामान्य महिलाओं की तुलना में फ्रैक्चर का खतरा 20 प्रतिशत अधिक पाया गया है। सीएसआईआर-सीडीआरआई के निदेशक प्रोफेसर आलोक धावन ने कहा कि हम एक नए हर्बल फार्मुलेशन को सफलतापूर्वक तैयार करने से बेहद खुश हैं। हमारे अनुसंधान के परिणामों के आधार पर हमारी दवा कोई विषाक्तता नहीं दिखाती है और नैनो-फार्मुलेशन की वज़ह से ये दवा कम मात्रा में भी प्रभावी है। इसमें चार बायो-मार्करों की पहचान की गई है जो घुटने के जोड़ पर उपास्थि की मरम्मत की प्रक्रिया को दक्षता प्रदान करते हैं।
प्रौद्योगिकी हस्तांतरण दस्तावेज का आदान-प्रदान सीएसआईआर-सीडीआरआई के निदेशक प्रोफेसर आलोक धावन निदेशक और फार्मान्जा हर्बल प्राइवेट लिमिटेड अहमदाबाद की प्रतिनिधि रुची सिंह और अबोली गिरमे के बीच किया गया। यह भी पढें – बोले सीएम – मदरसों और संस्कृत विद्यालयों के आधुनिकीकरण की जरूरत