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कैण्ट विधान सभा के मोती लाल नेहरू नगर वार्ड में नेहरू पार्क पर हो रहे कब्जे के विवाद का मुद्दा फिर गर्माया

locationलखनऊPublished: Jun 21, 2021 08:24:57 pm

Submitted by:

Ritesh Singh

सांसद रीता बहुगुणा जोशी ने किया निरीक्षण

कैण्ट विधान सभा के मोती लाल नेहरू नगर वार्ड में नेहरू पार्क पर हो रहे कब्जे के विवाद का मुद्दा फिर गर्माया

कैण्ट विधान सभा के मोती लाल नेहरू नगर वार्ड में नेहरू पार्क पर हो रहे कब्जे के विवाद का मुद्दा फिर गर्माया

लखनऊ, प्रो0 रीता बहुगुणा जोशी, पूर्व विधायक कैण्ट एवं सांसद, प्रयागराज नेहरू नगर के नागरिको के आवाह्नन पर नेहरू पार्क पर हो रहे कब्जे के संदर्भ में निरिक्षण एवं जानकारी करने पहुंची। उन्होने बताया कि नेहरू नगर की स्थापना एक हाउसिंग सोसाइटी के द्वारा सन् 1959 में हुयी थी। सोसाइटी द्वारा हाउसिंग प्लान स्वीकृत करवाया गया तथा 1969 में नेहरू नगर सोसाइटी द्वारा नेहरू नगर को नगर निगम को स्थानांतरित कर दिया गया। उक्त प्लान के अनुसार आवासीय क्षेत्रफल 5.191 एकड़ था पार्क के लिए 0.79 एकड़ स्वीकृत था तथा 1.78 एकड़ सड़क व विद्यालय के लिए निर्धारित किया गया था। उक्त प्लान में 1.78 एकड़ भूमि जो सड़क एवं विद्यालय के लिए आरक्षित थी वह विवाद में आ गयी क्योंकि सड़क तो बना दी गयी परन्तु बहुत समय तक नगर निगम विद्यालय का निर्माण नही कर सका।
सन् 2016 में विधायक स्व0 सुरेश श्रीवास्तव ने अपने विधायक निधि से रू0 25 लाख समुदायिक केन्द्र के निर्माण हेतु नगर निगम को दिया। पूर्व महापौर एवं वर्तमान उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा के कार्यकाल में सामुदायिक केन्द्र बनाने का निर्णय लिया गया तथा उसका शिलान्यास का पटिका भी लगा दी गयी परन्तु विवाद के चलते उद्घाटन कार्यक्रम रद्द कर दिया गया। ऐसा हुआ कि 2006 में इस भूमि को लेकर कानूनी विवाद शुरू हुआ और कई दावेदार खड़े हो गये। जिनमें एक सरिता पाण्डेय ने विवादित 1.78 एकड़ पर अपनी दावेदारी रखी और न्यायालय से स्थगन आदेश प्राप्त कर लिया जिसके कारण सामुदायिक केन्द्र बानने का कार्य स्थगित कर दिया गया था। सन् 2015 में महताब मुनीर ने इस भूमि पर अपनी दावेदारी रखी और अदालत चली गयी। उन्होने उक्त भूमि पर रातो रात चारदीवारी खडी कर दी तत्कालीन विधायक प्रो0 रीता जोशी ने सैकड़ो क्षेत्रवासियों के साथ धरना दिया जिसके परिणाम स्वरूप प्रशासन ने काम रोक दिया।
दिलचस्प तथ्य यह है कि 2015 में और पुनः 2018 में अदालत द्वारा नगर निगम को स्पष्ट निर्देश दिया गया कि वह भूमि की नाप जोख होने तक किसी प्रकार का अधिकरण विवादित भूमि पर ना होने दे। परन्तु आज तक न्यायालय के निर्देश का अनुपालन नही किया गया। प्रो0 रीता जोशी लगातार 2016 से इस राजकीय सम्पत्ति को बचाने के मुहिम में जुटी है। उन्होने कई बार जिलाधिकारी, नगर आयुक्त तथा अन्य अधिकारीयों के साथ बैठके की तथा कोर्ट के आदेश के अनुपालन की मांग रखती रही। जिलाधिकारी ने नगर निगम को तथा उपजिलाधिकारी, सदर को नाप जोख करने का निर्देश दो बार दिया परन्तु आज तक उनके आदेश का अनुपालन नही हुआ।
एक सप्ताह पूर्व कुछ लोग ने पुनः विवादित भूमि पर पहुंच कर चारदिवारी बनाने का कार्य प्रारम्भ किया क्षेत्रवासियों को जब स्थानीय स्तर पर कोई सहयोग नही मिला तो उन्होने मयंक जोशी के माध्यम से रीता जोशी से सम्पर्क साधा उन्होने तत्काल प्रशासन से बात कर काम रूकवाया तथा वे स्वयं आज लखनऊ पहुंची और स्थल निरिक्षण कर सोसाइटी के सदस्यों के साथ बैठक की और उन्हे आश्वस्त किया कि कोई भी व्यक्ति अवैधरूप से इस बेशकिमती जम़ीन पर कब्जा नही कर पायेगा। कल उनकी बैठक प्रशासन के साथ निर्धारित है। सांसद ने कहा कि योगी सरकार में अवैध कब्जो को गिराया जा रहा है और हज़ारो एकड़ जमीन को भूमाफियों से मुक्त कराया गया है। लखनऊ नगर में इस प्रकार के गैर कानूनी कार्य कतई सहन नही किया जायेगा।
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