राज्य टीकाकरण अधिकारी डॉक्टर एपी चतुर्वेदी ने बताया कि 2013 के अक्टूबर माह में मीजल्स आउट ब्रेक सर्विलांस शुरू हुआ था। इसके बाद 26 नवंबर 2018 को मीजल्स-रूबेला का नियमित टीकाकरण अभियान शुरू हो गया। इस अभियान के दौरान उत्तर प्रदेश में 99.11 प्रतिशत टीकाकरण हुआ जो कि अन्य राज्यों की तुलना में काफी अधिक रहा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि लगभग शत-प्रतिशत सफल टीकाकरण अभियान से मीजल्स-रूबेला के मरीजों में काफी कमी आई है। इसलिए मीजल्स आउटब्रेक सर्विलांस के स्थान पर केस बेस्ड सर्विलांस अगस्त से शुरू कर दिया जाएगा।
आउटब्रेक सर्विलांस के दौरान कम से कम 5 मामलों पर कार्यवाही होती थी लेकिन अब एक मामले के पता चलने पर ही पूरी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि प्रदेश के सभी जनपदों से आए लोगों को चार बैच में विभाजित कर उन्हें प्रशिक्षित किया गया है। डॉक्टर चतुर्वेदी ने बताया कि सरकार अगले वर्ष 2020 तक मीजल्स-रूबेला के उन्मूलन और रूबेला / जन्मजात रूबेला सिंड्रोम (सीआरएस) के नियंत्रण के लिए संकल्पबद्ध है। इसलिए मीजल्स-रूबेला कई तरह के कदम उठाए जा रहे हैं।
यूपी में ऐसे घटेगी बच्चों की मृत्यु दर
एमआर वैक्सीन नियमित टीकाकरण का ही एक हिस्सा है। यह मीजल्स वैक्सीन की जगह ली है जो कि अभी 9-12 माह और 16-24 माह के बच्चों को दी जाती रही है। इस टीकाकरण कार्यक्रम से प्रदेश में पांच वर्ष तक के बच्चों की मृत्यु दर कम होगी। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं में रूबेला के संक्रमण से होने वाले गर्भपात तथा शिशु में अंधेपन, बहरेपन जैसी विकलांगता और जन्मजात हृदय रोग के मामलों में कमी आएगी।
इन बातों का रखें विशेष ख्याल
1. एमआर की दो खुराक 9 माह से 12 माह के बीच और 16 माह से 24 महीने के बीच लगवाना बहुत जरूरी है।
2. एमआर टीका सभी जनपदों में नियमित टीकाकरण के तहत पूरी तरह से निःशुल्क लगाए जाएंगे।
3. इस टीकाकरण से जानलेवा साबित होने वाली बीमारियों से छुटकारा मिलेगा।
4. गत वर्ष नवंबर में सभी यूपी के सभी जिलों में करीब 8 करोड़ बच्चों को टीका लगाया गया था।
5. देश में एमआर टीकाकरण अभियान के पहले चरण की शुरूआत 2017 के फरवरी माह में हुई थी।