शनिवार की सुबह डीएम और एलडीए उपाध्यक्ष अभिषेक प्रकाश के निर्देश पर मुख्तार अंसारी के बेहद करीबी शाहिद के काॅमर्शियल काॅम्प्लेक्स ‘सल्तनत प्लाजा’ की चौथी मंजिल पर अवैध रूप से बनी सभी 10 दुकानों को तोड़ना शुरू किया गया। इस दौरान भारी संख्या में फोर्स भी लगाई गई थी। डीएम का कहना था कि नक्शे के विपरीत निर्माण को लेकर नोटिस पहले ही दिया गया था, बावजूद इसके भवन स्वामी द्वारा न तो समान नीति के तहत पालन किया गया और न ही अवैध निर्माण को खुद ध्वस्त किया। आखिरकार एलडीए को कार्रवाई करनी पड़ी। उन्होंने बताया कि राजधानी में भू माफियाओं की अवैध इमारतों पर इसी तरह चरणबद्घ तरीके से कार्रवाई होगी।
उधर एक दिन पहले प्रयागराज में भी जेल में बंद ज्ञानपुर के बाहुबली विधायक विजय मिश्रा के शहर के बेहद महंगे अल्लापुर इलाके में स्थित शाॅपिंग काॅम्प्लेक्स को भी प्रयागराज विकास प्राधिकरण की टीम ने भारी पुलिस बल की मौजूदगी में जमींदोज कर दिया। आरोप है कि रिहायशी बिल्डिंग बनवाने की मंजूरी लेकर नियमों को ताक पर रखते हुए पौने चार सौ वर्ग एरिया में चार मंजिला शाॅपिंग काॅम्पलेक्स अवैध तरीके से बनाया गया। हाईकोर्ट से मोहलत मिलने पर चार माह के बाद भी विजय मिश्रा परिवार ने अवैध निर्माण नहीं गिराया, इसके बाद पीडीए ने कार्रवाई की। बताते चलें कि इसके पहले बीते साल पांच नवंबर को भी पीडीए की टीम ने विजय मिश्रा के आलीशान बंग्ले को ध्वस्त कर दिया था। भदोही में उनके कब्जे से छुड़ाई गई जमीन को पर्यटन चौकी बनाने के लिये दे दिया गया है। उनकी और सम्पत्तियों का पता लगाया जा रहा है।
उधर अजीत सिंह हत्याकांड में नाम आने के बाद योगी सरकार की भौहें बाहुबली पूर्व सांसद धनंजय सिंह पर भी तन गई हैं। आने वाले दिनों में धनंजय की मुश्किलें और बढ़नी तय कही जा रही हैं। प्रयागराज एमपी-एमएलए कोर्ट ने जौनपुर के केराकत थानाक्षेत्र के एक मामले में धनंजय सिंह सहित चार लोगों के खिलाफ गैंगस्टर एकट के तहत आरोप तय कर दिये हैं। 25 हजार का ईनाम घोषित होने के बाद भले ही धनंजय सिंह ने एमपी-एमएलए कोर्ट में सरेंडर कर दिया हो, लेकिन पुलिस नजर अब उनके अपराध और उससे खड़ी की गई सम्पत्ति पर है। बीते गुरुवार को लखनऊ के डीसीपी पूर्वी संजीव सुमन के बयान से यह साफ हो गया। पुलिस का कहना है कि धनंजय सिंह और शूटर गिरधारी की कई राज्यों में करोड़ों की सम्पत्तियां अपराध के बूते अर्जित की गई हैं। इनका आंकलन कर ईडी और आयकर विभाग को इनपर कार्रवाई के लिये लिखा गया है। लखनऊ, वाराणसी, जौनपुर और मऊ, फतेहगढ़ व बाराबंकी में सम्पत्तियां हैं और झारखंड में भी फार्म हाउस आदि हैं।