परिवारीजनों ने पुलिस को बताया कि रविवार की दोपहर वह कन्हैया से रुपए लेने की बात कहकर घर से निकले थे। जाते समय उन्होंने कहा था कि नौतनवां जा रहे हैं, देर शाम तक लौट आएंगे। लेकिन रात में उनका मोबाइल फोन आफ हो गया। इस मामले में पुलिस ने सर्विलांस के जरिए रमेश उर्फ रोशन, राकेश कुमार, रफीक और प्रवीण को गिरफ्तार किया। आरोपियों ने बताया कि मोहरीपुर में किराए पर रहने वाले कन्हैया की नौतनवा में शिवम मार्बल्स और टाइल्स के नाम से दुकान है। इंद्रासन ने अपने सम्पर्क से कन्हैया को राजस्थान से 15 लाख का टाइल्स दिलाया था। बार-बार इंद्रासन वह पैसा मांग रहा था।
लेकिन हर बार कन्हैया रुपए लौटाने में टालमटोल करता रहा। पैसा न देना पड़े इसलिए उसने इंद्रासन के हत्या की योजना बनाई। रविवार को पैसा देने के लिए कन्हैया ने उसे नौतनवां बुलाया। दुकान पर काफी देर तक इंद्रासन बैठा रहा। योजना के अनुसार अन्य अभियुक्त रफीक, राकेश और रमेश कार के पीछे-पीछे नौतनवां तक गए। तीनों साथी भी दुकान पर पहुंच गए और उन लोगों ने साथ खाना खाया। फिर रात में साढ़े 10 बजे लौटकर गोरखपुर आए। कार में कन्हैया ने बताया कि पैसा चौरीचौरा में मिलेगा।
कार से ही सभी चौरीचौरा की तरफ चले गए। जगदीशपुर से आगे बढ़ने के बाद सन्नाटा देखकर कन्हैया ने इंद्रासन का गला कस दिया। आगे बैठे रमेश ने स्टैयरिंग संभाल ली। कुछ दूर जाकर कार रोक दी। खेत में ले जाकर इंद्रासन की मौत पक्की करने के लिए कन्हैया ने चाकू से उसका गला रेत दिया। कार को मेडिकल कॉलेज के पास ले जाकर छोड़ आए। फिर आराम से अपने घरों को लौट गए। कन्हैया को उसके परिचित कारोबारी पार्टनर प्रवीण ने बाइक से नौतनवां पहुंचा दिया। खेत में जब पुलिस पहुंची तो वहां कोई ऐसा सामान नहीं मिला जिससे कोई सुराग मिल सके। इंद्रासन के मोबाइल नंबरों को खंगालने के बाद पुलिस ने घटना की तह जा सकी।