लखनऊ

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की सुप्रीम कोर्ट में याचिका, हलाला और तीन तलाक जैसे मुद्दे पर की बड़ी मांग

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मुस्लिम समुदाय में प्रचलित बहुपत्नी प्रथा और ‘निकाह हलाला’ की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं में पक्षकार बनने के लिए उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की है।

लखनऊJan 27, 2020 / 05:21 pm

Neeraj Patel

लखनऊ. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मुस्लिम समुदाय में प्रचलित बहुपत्नी प्रथा और ‘निकाह हलाला’ की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं में पक्षकार बनने के लिए उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की है और हलाला और तीन तलाक जैसे मुद्दे पर सुनवाई की मांग की है। एआईएमपीएलबी ने जनहित याचिका का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में हस्तक्षेप आवेदन दिया है।

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपनी याचिका में कहा है कि शीर्ष अदालत पहले ही 1997 में बहुपत्नी प्रथा और ‘निकाह हलाला’ के मुद्दे पर गौर कर चुका है और उसने इसे लेकर दायर याचिकाओं पर विचार करने से इंकार कर दिया था। पर्सनल लॉ को किसी कानून या अन्य सक्षम प्राधिकारी द्वारा इन्हें बनाए जाने की वजह से वैधता नहीं मिलती है। इन कानूनों का मूल स्रोत उनके धर्मग्रंथ हैं। याचिका में आगे कहा कि मुस्लिम लॉ मूल रूप से पवित्र कुरान और हदीस (मोहम्मद साहब की शिक्षाओं) पर आधारित है। अत: यह संविधान के अनुच्छेद 13 में उल्लिखित ‘लागू कानून’ के भाव के दायरे में नहीं आता है। इसलिए इनकी वैधता का परीक्षण नहीं किया जा सकता।

बहुपत्नी प्रथा मुस्लिम व्यक्ति को चार बीवियां रखने की इजाजत देता है जबकि ‘निकाह हलाला’ का संबंध पति द्वारा तलाक दिए जाने के बाद यदि मुस्लिम महिला उसी से दुबारा शादी करना चाहती है तो इसके लिए उसे पहले किसी अन्य व्यक्ति से निकाह करना होगा और उसके साथ वैवाहिक रिश्ता कायम करने के बाद उससे तलाक लेने से है। शीर्ष अदालत ने 2018 में मुस्लिम समुदाय में प्रचलित बहुपत्नी प्रथा और ‘निकाह हलाला’ की संवैधानिक वैधता पर विचार करने का निर्णय किया था।

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