जगह धर्म और शिक्षा के आधार पर भी महिलाओं में बच्चा जनने की क्षमता में भारी अन्तर देखा गया है। सर्वे के अनुसार जो महिलाएं स्कूल स्तर तक की पढ़ी हैं उनके मुकाबले बारहवीं तक की शिक्षा हासिल करने वाली महिलाएं कम बच्चे पैदा करतीं हैं। वहीं आंकड़ो में एक दिलचस्प बात सामने आई है कि मुस्लिम महिलाएं हिन्दू महिलाओं के मुकाबले आधा दर्जन अधिक बच्चे पैदा कर रहीं हैं।
मुस्लिम औरतों को लेकर एक सरकारी आंकड़ा पेश किया गया है जिसमें बताया गया है कि मुस्लिम औरतें शादी करने और बच्चा पैदा करने में अन्य समुदाय की औरतों से काफी पीछे हैं। इस आंकड़े ने उन लोगों को एक झटका देने का काम किया है जो यह सवाल उठाते रहें हैं कि मुस्लिम औरतें ज्यादा बच्चें पैदा करती है और मुस्लिम धर्म देश की जनसंख्या बढ़ाने का सबसे बड़ा जिम्मेदार है। इसके अलावा भी अन्य धर्म की तुलना में मुस्लिम महिलाओं को लेकर यह धारणा बनी है कि वो ज्यादा सशक्त या आधुनिक विचारों की नहीं हैं। सरकार की तरफ से जारी किए गए ये आंकड़े लोगों में बने इस धारणा को भी तोड़ते नजर आएंगे।
शहरी दो और ग्रामीण महिलाएं तीन बच्चे कर रहीं पैदा
उत्तर प्रदेश में शहरी क्षेत्र की महिलाएं जहां दो बच्चे पैदा करने की क्षमता तक सीमित हैं। वहीं ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं अभी भी तीन बच्चों को पैदा करने का माध्य रखती हैं। इस तरह प्रदेश की कुल जन्म दर करीब 2.7 बचते पैदा करने की है, जो महिलाओं के बच्चा जनने के देश व्यापी आंकड़े 2.45 से काफी अधिक हैं।
सर्वेक्षण के अनुसार वर्ष 2015-16 में जहां जल्द शादी का ग्राफ 51% रहा वहीं दस साल पूर्व के सर्वे में 59% रहा था। वहीं जन्म दर को कम करने के लिए गर्भनिरोधकों के प्रयोग सम्बन्धी सर्वे में यह बात सामने आई है कि बीते दस सालों में इसके प्रति निराशाजनक आंकड़े भी हैं। इसमें दस साल पूर्व जहां 44 फीसदी गर्भनिरोधकों का प्रयाग होता था वहीं वर्ष 2015-16 में यह मात्र 46 फीसदी तक ही पहुंच पाया।