रिपोर्ट के बाद एक्शन में आए पीएम मोदी समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के संभावित गठबंधन के साथ ही भाजपा सांसदों की निगेटिव रिपोर्ट के बाद पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह का पूरा फोकस यूपी में होगा। मोदी बीजेपी के किलों को बचाने के लिए जुलाई में कई रैलियां करके चुनावी शंखदान कर देंगे। मोदी खुद जनता से संवाद स्थापित कर केंद्र सरकार की उपलब्धियों को जनता को बताएंगे और विपक्षी दलों को कठघरे में खड़ा करेंगे। बीजेपी के एक बड़े नेता के मुताबिक पार्टी का संगठन पूरी तरह से चुनाव में उतर चुका है। मायावती, अखिलेश और राहुल गांधी के एक साथ आने की बाद भी ये पीएम मोदी के विजयी रथ को नहीं रोक पाएंगे।
पीएम का शुरू होगा तूफानी दौरा प्रदेश में हुए लोकसभा के तीन उपचुनावों में बसपा ने सपा को समर्थन दिया और सपा सीटें जीतने में कामयाब रही। उसको देखते हुए भाजपा ने तैयारियों अभी से शुरू कर दी हैं। पीएम मोदी को बखूबी पता है कि यूपी में भाजपा की सीटें ज्यादा घटीं तो दिल्ली में दोबारा वापसी मुश्किल हो सकती है। इसलिए विपक्ष के आक्रामक होने से पहले ही मोदी ने खुद यूपी में चुनावी दिशा तय करने का बीड़ा उठा लिया है। नरेंद्र मोदी कल यानी 14 जुलाई को आजमगढ़, 15 जुलाई को वाराणसी, 21 जुलाई को शाहजहांपुर और 29 जुलाई को लखनऊ के दौरे पर रहेंगे। पीएम मोदी के पहले चरण के दौरे में सबसे ज्यादा भागीदारी भी पूर्वांचल की है। मोदी अपने संसदीय क्षेत्र बनारस के साथ ही आजमगढ़, मिर्जापुर भी जाएंगे। तो वहीं मुलायम के गढ़ आजमगढ़ में पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का शिलान्यास करेंगे, जो प्रदेश के करीब डेढ़ दर्जन लोकसभा सीटों से सीधा जुड़ा हुआ है।
शांहजहांपुर से की थी शुरूआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में जब फसल बीमा योजना शुरू की थी तो उस समय उन्होंने रूहेलखंड के बरेली में किसान रैली की थी, वहीं अब खरीफ की फसलों की एमएसपी बढ़ाने के बाद एक बार फिर बरेली के बगल के जिले शाहजहांपुर को रैली के लिए चुना है। मोदी शाहजहांपुर में 21 जुलाई को रैली करेंगे। इसका मतलब साफ है कि मोदी बरेली मंडल के साथ ही अवध क्षेत्र को भी अपनी इस रैली से जोड़ना चाहते हैं। वहीं 29 जुलाई को मोदी लखनऊ में अपनी बहुप्रचारित योजनाओं को भी जनता तक पहुंचाने की कोशिश करेंगे। इसके बाद पीएम का हेलीकॉप्टर बुंदेलखंड की धरती पर उतरेगा। यहां करीब 18 लाख से ज्यादा दलित वोटर्स हैं, जिन्होंने 2014 में मायावती को छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया था। बीजेपी को अंदेशा है कि सपा-बसपा के गठबंधन के चलते यह वोट दोबारा क्षत्रपों के पाले में जा सकता है। इन वोटरों को साधने के लिए पीएम मोदी ने अलग रणनीति बनाई है।