पीएम जनता का मूड सही नहीं कर पाए, राहुल नहीं लुभा पाए किसानों को, ओवैसी मुस्लिमों तक सीमित
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त्वरित विश्लेषण
लखनऊ. सोमवार को उत्तर प्रदेश में अपेक्षाकृत ठंड ज्यादा थी। लेकिन, चुनावी माहौल की गरमी मौसम को खुशगवार बना दिया। सूबे में एक ही दिन तीन बड़े नेताओं ने तीन बड़ी रैलियों को संबोधित किया। तीनों के रणक्षेत्र अलग। तीनों की प्राथमिकताएं अलग-अलग थीं। चुुनौतियां भी भिन्न-भिन्न रहींं। लेकिन, तीनों का लक्ष्य एक। पीएम नरेंद्र मोदी कानपुर में थे। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी जौनपुर में और आईआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी सिद्धार्थनगर में। आइए जानते हैं इन तीन रैलियों, के तीन दिग्गजों की तीन चुनौतियोंं के बारे में-
1.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
स्थान-कानपुर
सभा-परिवर्तन रैली
समय-12 बजे
आए- डेढ़ बजे के बाद
भीड़-पांच लाख का दावा
आए- करीब एक लाख
मुद्दा-नोटबंदी का फायदा
नई बात- यूपी में परिवर्तन की लहर नहीं, बल्कि आंधी चली है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कानपुर में परिवर्तन रैली के जरिए नोटबंदी के फायदे गिनाए। उन्होंने बताया कि बड़े नोटों के बंद होने से कैसे बड़े लोग रो रहे हैं। मोदी ने कानपुर के विकास के लिए कई आधारशिलाएं रखीं। कई विकास कार्यों का शिलान्यास भी किया। दावा पांच लाख की भीड़ का किया गया। लेकिन, भीड़ एक लाख से ज्यादा दिखी नहीं। उनके लिए मुख्य चुनौती थी नोटबंदी के बाद जनता में उपजे आक्रोश को ठंडा करना। 50 मिनट के भाषण में उन्होंने नोटबंदी पर सफाई भी दी। लेकिन, लंबे भाषण के बाद भी जनता का मूड सही नही कर पाए मोदी।
क्यों चुना कानपुर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव के दौरान सबसे पहली रैली कानपुर में ही थी। और अब संसद के शीतकालीन सत्र के नोटबंदी की भेंट चढऩे के बाद प्रधानमंत्री की यह पहली चुनावी रैली थी। कानपुर की इस रैली के जरिए कानपुर,इटावा,फर्रुखाबाद, उन्नाव, लखनऊ और हरदोई के जिलों के वोटरों को साधने की कोशिशें की गईं।
2.कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी
स्थान- बीआरपी कालेज मैदान,जौनपुर
सभा- जनआक्रोश रैली
समय-2.30 बजे
आए- 4.00बजे
भीड़- एक लाख का दावा
जुटे- करीब 50 हजार लोग
मुद्दा-नोटबंदी, मोदी का विकास झूठा
उत्तर प्रदेश में राहुल गांधी की नोटबंदी पर यह पहली सभा थी। इसके पहले वह दादरी में एक छोटी सभा में नोटबंदी पर बोल चुके थे। जन आक्रोश रैली के नाम पर बुलाई गई सभा में राहुल गांधी ने किसानों और आम लोगों को हो रही दिक्कतों का मुद्दा उठाया। उन्होंने पीएम मोदी को घेरते हुए कहा कि कैसे नोटों के बंद होने से किसान और आम जन तबाह हो रहा है। राहुल का लक्ष्य किसान और नवजवान हैं। एक लाख से ज्यादा की भीड़ की दावा किया गया। लेकिन, मैदान में 50 हजार की भी भीड़ नहीं जुटी। मोदी को घेरने की राहुल ने कोशिश तो की लेकिन बेजान भाषण से वह युवाओं और किसानों को लुभा नहीं सके।
क्यों चुना जौनपुर
पूर्वांचल में राजनीति का गढ़ माना जाता है जौनपुर। जौनपुर में राहुल की खाट सभा भी काफी हिट रही थी। यही वजह है कि नोटबंदी पर भी कांग्रेस पूर्वांचल में इसी जगह को चुना है। यहां की रैली से वाराणसी और गोरखपुर से लेकर इलाहाबाद तक के वोटरों को साधने की कोशिश की गई।
क्या मिला
उत्तर प्रदेश में नोटबंदी के मुद्दे को हवा देने की कोशिश में कामयाब। भीड़ ने नोटबंदी को गंभीरता से लिया। इसकी चर्चा रही।
3.एमआईएमआईएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष असुद्दीन ओवैसी
स्थान-सिद्धार्थनगर में ओवैसी की रैली
सभा- शोहरतगढ़ चलो
समय-दो बजे
आए- 3.30 बजे
भीड़- एक लाख का दावा
जुटे- 15 से 20 हजार के करीब
मुद्दा- नोटबंदी
उत्तर प्रदेश में अपनी जमीन तलाशने की जद्दोजहद में जुटे असुद्दीन ओवैसी की शोहरतगढ़ रैली में मुस्लिमों ने बढ़चढक़र भागीदारी दिखाई। यहां के एक मदरसे में आयोजित रैली में ओवैशी ने भी राहुल गांधी के सुर में सुर मिलाते हुए नोटबंदी को ही मुद्दा बनाया। अपेक्षा से ज्यादा भीड़ जुटाने में ओवैसी कामयाब रहे। उन्होंने अपने मतदाताओं को लुभाने की भरपूर की। लेकिन, मुस्लिमों के अलावा जुटी भीड़ ओवैसी को सुनने आई थी। भीड़ मत में बदल जाए ऐसा कम ही लगता है।
क्यों चुना जौनपुर
पूर्वांचल में मुस्लिम मतों की बहुलता है। आजमगढ़, जौनपुर, सिद्धार्थनगर आदि जिलों में मुस्लिम वोटरों की अच्छी संख्या है। आजमगढ में ओवैसी का अच्छा प्रभाव है। सिद्धार्थनगर और आसपास के जिलों के मुस्लिम मतों को अपनी ओर मोडऩे के लिए ओवैसी ने इस क्षेत्र को रैली के लिए चुना। शोहरतगढ़ में मुस्लिमों की अच्छी संख्या है। इसलिए उन्होंने इस स्थल को चुना।