उत्तर प्रदेश में पहले से ही कई महीनों से ठप बालू खनन के कारण बहुत सारे प्रोजेक्ट अधर में लटके हुए हैं।घर बनाने में भी लोगों को काफी दिक्क़तों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि बालू की आपूर्ति बड़ी मुश्किल से हो पा रही है। यूपी के कई बड़े प्रोजेक्ट के लिए बिहार से बालू मंगाई जा रही है। इन सबके बीच पर्यावरण की सुरक्षा को लेकर एनजीटी ने उत्तर प्रदेश के आठ जिलों में शुरू होने जा रही ई टेंडरिंग की प्रक्रिया पर रोक लगा दी है।
बताया जा रहा है कि हमीरपुर, जालौन, फतेहपुर, झाँसी, गोंडा सहित 8 जनपदों में खनन के लिए टेंडर होने थे, जिन पर रोक लगी है। उत्तर प्रदेश में खनन और अवैध खनन हमेशा से विवादित मुद्दा रहा है। आरोप लगते रहे हैं कि बसपा और सपा सरकार में दोनों पार्टियों से जुड़े लोग संगठित तरीके से बालू खनन के वैध और अवैध कारोबार को संचालित करते थे। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के अस्तित्व में आने के बाद बुंदेलखंड के कई क्षेत्रों से भाजपा नेताओं और उनके रिश्तेदारों के अवैध खनन में सक्रिय होने की खबरें जिस तरह से सामने आई, उससे साफ़ है कि वर्तमान सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती अपनी पार्टी के नेताओं को इस कारोबार के करीब जाने से रोकना है। फिलहाल खनन की टेंडर प्रक्रिया पर लगी रोक पर सुनवाई एनजीटी में 6 अक्टूबर को होगी।