मनुष्य के स्वस्थ्य और खुशहाल जीवन में जल और जंगल की प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। हीरालाल भी बांदा के जिलाधिकारी के रूप में तैनात होने से पहले जल के महत्व को नहीं जानते थे। वह कहते हैं कि मैं बांदा और बुंदेलखंड क्षेत्र में पानी की कमी के बारे में खबरें सुनता और पढ़ता रहता हूं। जब मैंने डीएम के रूप में पानी की समस्याओं का सामना करना शुरू किया, तब मुझे जल संकट की गंभीरता का एहसास हुआ। पानी की समस्या का समाधान निकालना मेरे लिए बड़ी चुनौती थी। हमने यह जानने की कोशिश की कि समस्या के मूल कारण क्या हैं। इसके लिए हमने विशेषज्ञों व हमारे अधिकारियों से संवाद किया। हम इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि समस्या और समाधान दोनों ही जनता के पास हैं। हमने इसके बाद वारटरएड (water aid) जैसे विशेषज्ञ संगठनों के साथ एक रणनीति बनाई। और जनता का एहसास कराया कि उनके पास समस्या और समाधान दोनों हैं। उन्हें यह जानना चाहिए कि दोनों को खुद से कैसे जुड़ना है। यही बात जंगल के लिए लागू होती है। और यदि दोनों की ख्याल नहीं रखा गया तो कोरोना जैसी महामारी दोबारा जल्द ही आएगी और प्रकृति अपना काम करेगी।
पीएम मोदी ने की थी तारफी- बांदा में जिलाधिकारी रहते अपने करिश्माई कार्यशैली के लिए हीरा लाल की खूब सराहना होती है। जल संरक्षण और संवर्धन के लिए उन्होंने पूरे जिले में कुआं-तालाब जियाओ अभियान छेड़ दिया। नदियों में पहली दफा जल आरती की शुरुआत कराई। वहीं पौधरोपण को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने धार्मिक स्थलों में श्रद्धालुओं को पौध प्रसाद अभियान शुरू किया। शादी-विवाह और अन्य आयोजनों में खुद जाकर लोगों में पौधे वितरित किए और हरियाली बढ़ाने का आह्वान किया। इसके अतिरिक्त लोकसभा चुनाव में उनके ‘एक लक्ष्य-90 प्लस’ मतदान अभियान की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सार्वजनिक मंच सराहना की थी।