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इस बार दस दिन की होगी नवरात्री, ये हैं शुभ तिथियां 

locationलखनऊPublished: Sep 20, 2017 02:07:30 pm

Pavratri 2017 : इस बार Pitru Paksh का पखवाड़ा एक दिन कम, जबकि नवरात्र दस दिन के होंगे।

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Lucknow News। इस बार Navratri दस दिन की होगी क्योंकि इस बार Pitrupaksh का पखवाड़ा एक दिन कम, जबकि नवरात्र दस दिन के होंगे। जी हां! अगर आप नवरात्र का व्रत रखते हैं तो इस बार आपको एक दिन और व्रत रहना होगा। लेकिन कोई बात नहीं श्रद्धा के आगे दिन मायने नहीं रखते। इस बार पितृपक्ष की शुरुआत 16 सितंबर से होगी, जो 30 सितंबर तक चलेंगे।
 
लखनऊ का आचार्य प्रदीप तिवारी के मुताबिक इस बार भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा महालयारंभ से पितृपक्ष की शुरुआत हो जाएगी। इस साल एक तिथि का क्षय होने से श्राद्ध 16 दिन के बजाय 15 दिन के होंगे। दरअसल षष्ठी और सप्तमी का श्राद्ध एक ही दिन होगा। क्योंकि श्राद्ध मध्याह्न काल में किया जाता है और मध्याह्न काल में पष्ठी और सप्तमी मिल रही हैं। षष्ठी सुबह 11:11 मिनट तक रहेगी उसके बाद सप्तमी लग जाएगी।
 
ऐसे होगी आगे तिथियां (Shardiya Navratri Tithi)
महावीर पंचांग के अनुसार इस बार 17 सितंबर को प्रतिपदा, 18 सितंबर को द्वितीया, 19 सितंबर को तृतीया, 20 सितंबर को चतुर्थी, 21 सितंबर को पंचमी, 22 सितंबर को पष्ठी और सप्तमी, 23 सितंबर को अष्टमी, 24 सितंबर को नवमी होगी। नवमी को मातृ का पूजन किया जाएगा। 25 सितंबर को दशमी का पूजन होगा। 26 सितंबर को एकादशी होगी। इस दिन अन्नदान न करके फलों से श्राद्ध किया जाएगा। 27 सितंबर को द्वादशी पर संन्यासी और साधु का श्राद्ध पूजन होगा। 28 सितंबर को त्रयोदशी का पूजन किया जाएगा। मघायुक्त होने से यह श्राद्ध अक्षय फल देने वाला रहेगा। 29 सितंबर को चतुर्दशी पर अकाल मृत्यु वाले पितरों का श्रद्धा किया जाएगा। 30 सितंबर को अमावस्या पर उन पितरों का श्राद्ध कर्म किया जाएगा जिनके निधन की तिथियां अज्ञात हैं।
 
नवरात्र पर बन रहा सशक्त योग (Navratri 2017 Yog)
इस बार नवरात्री बहुत ही अच्छा योग लेके आई है। इस नवरात्री पर कई शुभ काम निपट सकते हैं। शुभ मुहूर्त होने की वजह से शादी की लग्न शुरू हो जाएगी। इस बार नवरात्र में हस्त नक्षत्र और ब्रह्मयोग होने से सशक्त योग बन रहा है। शास्त्रों के अनुसार यह नवरात्र विशेष शुभकारी होगा। विशेषकर स्त्रियों का बल बढ़ेगा। राजसत्ता के लिए महिलाओं में प्रतिद्वंद्विता बढ़ेगी। 1 अक्टूबर को कलश स्थापना सुबह 11:30 से 12:30 बजे तक करना कल्याणकारी रहेगा। आचार्य प्रदीप तिवारी के अनुसार शारदीय नवरात्र में चित्रा और वैधृति योग में कलश स्थापना से बचना चाहिए। महावीर पंचाग के अनुसार 2 और 3 अक्टूबर को मां ब्रह्मचारिणी का पूजन किया जाएगा। इस साल 1 अक्टूबर को शैलपुत्री, 2 अक्टूबर को ब्रह्मचारिणी, 3 अक्टूबर को ब्रह्मचारिणी, 4 अक्टूबर को चंद्रघंटा, 5 अक्टूबर को कूष्मांडा, 6 अक्टूबर को स्कंदमाता, 7 अक्टूबर को कात्यायनी, 8 अक्टूबर को कालरात्रि, 9 अक्टूबर को महागौरी और 10 अक्टूबर को सिद्धिदात्री का पूजन किया जाएगा।
 
 
ये हैं आगे के त्यौहार
 
तिथियां बदलने की वजह से इस बार के त्यौहारों में कुछ परिवर्तन होंगे जो इस प्रकार हैं-
 
  • 17 सितंबर को विश्वकर्मा पूजन
  • 11 अक्टूबर को दशहरा।
  • 15 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा
  • 16 अक्टूबर को महर्षि वाल्मीकि जयंती
  • 19 अक्टूबर को करवा चौथ
  • 28 अक्टूबर को धनतेरस
  • 29 अक्टूबर को हनुमान जयंती, नरक चतुदर्शी
  • 30 अक्टूबर को दीपावली और महानिशा पूजन
  • 31 अक्टूबर को गोवर्धन पूजन
  • 1 नवंबर को भैया दूज, चित्रगुप्त पूजन
6 नवंबर छठ पूजन
10 नवंबर को देवोत्थानी एकादशी

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