लखनऊ , हमारे शास्त्रों में लिखा है कि कोई भी व्रत हो उसकी पूजा -अर्चना सब अलग -अलग होती लेकिन ज्यादातर सब की पूजा करनी की विधियां मिलती -जुलती रहती है। कोशिश कर के हमें अपने Navratri Vrat Niyam का पालन ज़रूर करना चाहिए । पंडित माधव बताते है कि माँ दुर्गा वो शक्ति हैं जिसकी महिमा के जितने गुण -गान किये जाये कम हैं । कहते है अगर नवरात्र में जो भी लोग व्रत रहते है रखे गए व्रत के नियमों का पालन जरूर करना चाहिए । वैसे आज़ नवरात्री का दूसरा दिन हैं । माँ ब्रह्मचारिणी के नाम पर नवरात्री का यह दिन होता है । नवरात्री के पूजन दूसरे दिन की ही पूजा -अर्चना होती हैं । पंडित शक्ति मिश्रा कहते हैं कि ब्रह्मचारिणी माता के चरणों में भक्तों को मन लगाना चाहिए क्योकिं ब्रह्म का मायने होता है तपस्या व् चारिणी यानि की आचरण करने वाली । ब्रह्मचारिणी का सही मायने में पूरा अर्थ हुआ घोर तप करने वाली और अपने तप से सही सीख देने वाली । माता के दाहिने हाथ में जप की माला और बाएँ हाथ में कमण्डल रहता है। माँ भवानी का यह रूप भक्तोंजनो को बहुत खुशियां देने वाला साथ ही उनकी समस्या का निवारण करने वाला होता हैं । माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा – अर्चना करने से व्यक्ति के अन्दर तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार एवं संयम की वृद्धि होती है। जिससे वह व्यक्ति हर प्रकार की परेशानियों से लड़ सकता हैं । इंसान के जीवन में आने वाले कठिन से कठिन परिस्थित में भी कभी हार नहीं मान सकता । जो व्यक्ति माँ ब्रह्मचारिणी पूजा – अर्चना विधि करता हैं । उस पर माता की कृपा हमेशा बनी रहती हैं और हमेशा विजय प्राप्त करता हैं । नवरात्र के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी के रूप की आराधना होती हैं । माँ ब्रह्मचारिणी को भोग (Maa Brahamcharini Bhog) पंडित शक्ति मिश्रा ने कहाकि माता को चीनी यानि शक्कर का भोग लगाए इससे व्यक्ति की आयु में वृद्धि होती हैं । माता भवानी के नौ स्वरूपों की उपासना के करते है अगर हमें यह पता हो कि कौन राशि वाले किस तरह से माता को ख़ुश करने के लिए पूजा करें, तो हम अपनी माँ जगदम्बा कोबहुत ही सरल तरीक़े से खुश कर सकते हैं । पंडित शक्ति मिश्रा बताते है कि हर राशि का अपना अलग ही महत्त्व होता हैं । नवरात्र में राशि के अनुसार पूजा करें तो माता हमारे द्धारा किये गए बुरे कर्मो को माफ़ करती हैं और ख़ुश होकर राशिफल सुबह -शाम की पूजा (Rashifal ke Anusar Maa Durga Puja) . >मेष राशि वाले व्यक्तियों को उत्तम पूजा करनी चाहिए । > वृष राशि वाले को विधि से अनुसार पूजा करनी चाहिए । >मिथुन राशि वाले साधारण तरीक़े से पूजा करनी चाहिए । > कर्क राशि वाले व्यक्तियों को उत्तम विधि के अनुसार माता की पूजा करनी चाहिए । > सिंह राशि वालो को साधारण तरीके से माता की पूजा अर्चना करनी चाहिए > कन्या राशि वालो को उत्तम तरीके से पूजा करनी चाहिए । >तुला राशि वालो को साधारण पूजा । > वृश्चिक राशि वालों को उत्तम पूजा > धनु राशि वालों उत्तम पूजा करनी चाहिए > मकर राशि वालों को साधारण पूजा करनी चाहिए > कुम्भ- अष्टम चन्द्र शिवोपासना करें > मीन राशि वालों को उत्तम पूजा दोपहर 01:20 तक इसके बाद >मेष राशि वालों को उत्तम पूजा >वृष राशि वालों को उत्तम पूजा > मिथुन राशि वालों को साधारण पूजा करनी चाहिए | >कर्क राशि वालों को साधारण पूजा करनी चाहिए >सिंह राशि वालों को उत्तम पूजा > कन्या राशि वालों को साधारण पूजा | > तुला राशि वालों को उत्तम पूजा | >वृश्चिक राशि वालों को साधारण पूजा धनु राशि वालों को उत्तम पूजा | मकर राशि वालों को उत्तम पूजा | कुम्भ राशि वालों को साधारण पूजा | मीन- अष्टम चन्द्र, शिवोपासना करें | कोई गलत काम न हो जाये । > ‘यहांराशिफलचन्द्रकेगोचरपरआधारितहै, व्यक्तिगतजन्मकेग्रहऔरअन्यग्रहोंकेगोचरकेकारणशुभाशुभपरिणामोंमेंकमी-वृद्धिसंभवहै, इसलिएअच्छेसमयकासद्उपयोगकरेंऔरखराबसमयमेंसतर्करहें । । ‘ नवदुर्गा नवरात्रि के नौ दिनों में माता दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है. प्रत्येक दिन माता दुर्गा के एक अलग स्वरूप की उपासना की जाती है. > नवरात्रि के पहले तीन दिन माता पार्वती, मध्य के तीन दिन माता लक्ष्मी और आखिरी तीन दिन माता सरस्वती की पूजा भी कर सकते हैं. > जोलोगअंकज्योतिषमेंविश्वासरखतेहैं, वेअपनीजन्मतिथिकेसापेक्षदेवीकेउसस्वरूपकीपूजाऔरउसदिनकाव्रतरखसकतेहैं. > पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण इनका प्रथम स्वरूप- शेैलपुत्री है. इनकी पूजा नवरात्रि के पहले दिन प्रतिपदा को होती है. जिन श्रद्धालुओं की जन्म दिनांक किसी भी महीने की- 1, 10, 19, 28 तारीख है या तिथि- एकम और दशमी है, वे देवी की इस स्वरूप की पूजा-अर्चना करें, पद-प्रतिष्ठा प्राप्त होगी! > सच्चिदानन्द ब्रह्यस्वरूप की प्राप्ति कराने की प्रकृति होने के कारण देवी का द्वितीयस्वरूप- ब्रह्मचारिणी है. इस स्वरूप की पूजा द्वितीया तिथि को होती है. जिन श्रद्धालुओं की जन्म दिनांक किसी भी महीने की- 2, 11, 20, 29 तारीख है या तिथि- द्वितीया और एकादशी है, वे देवी की इस स्वरूप की पूजा-अर्चना करें, मानसिक शांति मिलेगी! > देवी का तीसरास्वरूप- चन्द्रघण्टा है. इस स्वरूप की पूजा तृतीया तिथि को होती है. जिन श्रद्धालुओं की जन्म दिनांक किसी भी महीने की- 3, 12, 30 तारीख है या तिथि- तृतीया, द्वादशी और अमावस्या है, वे देवी की इस स्वरूप की पूजा-अर्चना करें, सुख-समृद्धि मिलेगी! > देवी का चौथास्वरूप- कूष्माण्डा है. इस स्वरूप की पूजा चतुर्थी तिथि को की जाती है. जिन श्रद्धालुओं की जन्म दिनांक किसी भी महीने की- 4, 13, 22, 31 तारीख है या तिथि- चतुर्थी और त्रयोदशी है, वे देवी की इस स्वरूप की पूजा-अर्चना करें, जीवन में सफलता मिलेगी! > देवी का पांचवांस्वरूप- स्कन्दमाता है. नवरात्रि के पांचवें दिन इस स्वरूप की पूजा-अर्चना होती है. जिन श्रद्धालुओं की जन्म दिनांक किसी भी महीने की- 5, 14, 23 तारीख है या तिथि- पंचमी और चतुर्दशी है, वे देवी की इस स्वरूप की पूजा-अर्चना करें, संतान-सुख मिलेगा! > देवताओं की कार्य सिद्धि हेतु महर्षि कात्यायन के आश्रम में प्रकट होने के कारण देवी का छठास्वरूप- कात्यायनी है. षष्ठी तिथि में इनकी पूजा की जाती है. जिन श्रद्धालुओं की जन्म दिनांक किसी भी महीने की- 6, 15, 24 तारीख है या तिथि- षष्ठी और पूर्णिमा है, वे देवी की इस स्वरूप की पूजा-अर्चना करें, भौतिक सुख मिलेगा! > देवी का सातवांस्वरूपहै- कालरात्रि. सप्तमी तिथि को इनकी पूजा की जाती है. जिन श्रद्धालुओं की जन्म दिनांक किसी भी महीने की- 7, 16, 25 तारीख है या तिथि- सप्तमी है, वे देवी की इस स्वरूप की पूजा-अर्चना करें, सौभाग्य की प्राप्ति होगी! > देवी का आठवांस्वरूपहै- महागौरी. नवरात्रि की अष्टमी तिथि को इस स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाती है. जिन श्रद्धालुओं की जन्म दिनांक किसी भी महीने की- 8, 17, 26 तारीख है या तिथि- अष्टमी है, वे देवी की इस स्वरूप की पूजा-अर्चना करें, कष्टों से मुक्तिका ! > देवी का नौवांस्वरूपहै- सिद्धिदात्री. नवमी तिथि पर इनकी पूजा-अर्चना की जाती है. जिन श्रद्धालुओं की जन्म दिनांक किसी भी महीने की- 9, 18, 27 तारीख है या तिथि- नवमी है, वे देवी की इस स्वरूप की पूजा-अर्चना करें, पराक्रम बढ़ेगा! पंडित शक्ति मिश्रा कहते हैं कि इंसान की राशि का उसके जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ता हैं । इसलिए बच्चे के जन्म के समय माता -पिता को उसकी तारीख़ की जानकारी होनी चाहिए ।