मामला 2015 का है जब रीता बहुगणा जोशी कांग्रेस में थी। उस दौरान सरकार के खिलाफ कांग्रेस ने लखनऊ के लक्ष्मण मेला मैदान में प्रदर्शन किया था, जिसके बाद करीब 5000 पार्टी कार्यकर्ताओं ने विधानभवन की तरफ कूच भी किया था। इस बीच पुलिस से कार्यकर्ताओं की झड़प हो गई थी। पुलिस पर पथराव भी किया गया था, जिसमें पुलिसकर्मियों के साथ-साथ आम लोगों को भी चोटें आईं थीं। मामले की जांच कर पुलिस ने उसी वर्ष 25 दिसंबर को अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा मामले के त्वरित निपटारे के आदेश के लिए रीता व अन्य छह लोगों को अदालत में हाजिर होने के आदेश दिए गए थे, लेकिन इनमें से कोई भी पेश नहीं हुआ। इस कारण उन पर आरोप तय नहीं हो सके।
शनिवार को अदालत ने इसे न्यायिक कार्यवाही का उल्लंघन मानते हुए रीता समेत सभी छह आरोपियों के खिलाफ गैर जमानती वॉरंट जारी किया। आपको बता दें कि रीता कांग्रेस से आपसी मतभेद के चलते 20 अक्टूबर 2016 को बीजेपी से जुड़ गई। इससे पूर्व वह 24 वर्षों तक कांग्रेस में रहीं।