रजनीगंधा की दो किस्में यूपी के उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग पूर्व निदेशक एसपी जोशी ने बताया, रजनीगंधा की दो किस्में एक सिंगल और दूसरी डबल किस्म होती है। वैसे तो रजनीगंधा फूल की खेती के लिए कोई भी मिट्टी ठीक है। पर अगर बलुई-दोमट या दोमट मिट्टी में खेती तो उपज में फायदा मिलता है। रजनीगंधा की रोपाई कंद से की जाती है। उत्तर प्रदेश सहित पश्चिमी बंगाल, कर्नाटक, तामिलनाडु और महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब और हिमाचल प्रदेश में रजनीगंधा की व्यावसायिक खेती होती है।
ताजे, अच्छे और बड़े कंद लगाएं रजनीगंधा के फूल पूरे साल उगाए जाते हैं। रजनीगंधा के पौधों में 80-95 दिनों में फूल आने लगते हैं। वर्ष भर फूल लेने के लिए जरूरी है कि हर 15 दिन में कंद रोपण किया जाए। कंद का आकार दो सेमी. व्यास का या इस से बड़ा होना चाहिए। एक हेक्टेयर क्षेत्रफल में करीब 1200-1500 किग्रा कंदों की जरूरत पड़ती है। कन्द को चार-आठ सेमी. की गहराई और 20-30 सेमी. लाइन से लाइन और और 10-12 सेमी. कन्द से कन्द के बीच की दुरी पर रोपण करना चाहिए। ध्यान रहे कि हमेशा ताजे, अच्छे और बड़े कंद लगाएं, ताकि फूलों की खेती में आपको अच्छी पैदावार मिल सके।
खाद बेहद जरूरी अधिक पैदावार के लिए एक एकड़ भूमि में 25-30 टन गोबर की खाद देना चाहिए। नाइट्रोजन तीन बार देना चाहिए। एक तो रोपाई से पहले, दूसरी इस के करीब 60 दिन बाद और तीसरी मात्रा तब दें जब फ़ूल निकलने लगे। कंपोस्ट, फ़ास्फ़ोरस और पोटाश की पूरी खुराक कंद रोपने के समय ही दे दें। गर्मी के मौसम में पांच-सात और सर्दी में 10-12 दिन के अंतर पर सिंचाई करें। आवश्यकतानुसार खरपतवार निकालना चहिए।
रजनीगंधा फूल से लाखों की कमाई एक एकड़ में रजनीगंधा फूल की खेती से करीब 1 लाख स्टिक (फूल) मिलते हैं। फूल को आस-पास की मंडियों में बेच सकते हैं। मंदिर, फूल की दुकान, शादी घर से फूल के और अच्छे दाम मिल सकते हैं। रजनीगंधा का एक फूल 1.5 से 6 रुपए तक में बिकता है, जो इस बात पर निर्भर करेगा कि मांग कितनी है और सप्लाई कितनी हो रही है। यानी आप 1.5 लाख रुपए से 6 लाख रुपए तक की कमाई सिर्फ एक एकड़ में रजनीगंधा के फूलों की खेती से कर सकते हैं। अगर दस एकड़ खेत है तो 60 लाख रुपए की कमाई हो सकती है।
सरकार खेती के लिए देती है मदद उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग उत्तर प्रदेश की तरफ से राष्ट्रीय औद्यानिक मिशन के तहत किसानों की आर्थिक सहायता भी दी जाती है। छोटे और सीमांत किसानों के लिए कुल लागत का 50 प्रतिशत या अधिकतम 35000 रुपए प्रति हेक्टेयर लाभ दिया जाता है। अन्य किसानों के लिए कुल लागत का 33 प्रतिशत या अधिकतम 23100 रुपए प्रति हेक्टेयर दिया जाता है और एक लाभार्थी को सिर्फ चार हेक्टेयर ज़मीन पर ही लाभ दिया जाता है।