यह पढ़ें- यदि जुम्मे की नमाज तक एक्शन नहीं लिया गया तो जो कहीं नहीं हुआ वह यहां होगा – इमाम जामा मस्जिद सीएम योगी को सौंपी गई रिपोर्ट आयोग की सचिव सपना त्रिपाठी ने कहा कि ‘ऐसी घटनाओं के मद्देनजर आयोग ने स्वत:संज्ञान लेते हुये भीड़ तंत्र की हिंसा को रोकने के लिये राज्य सरकार को विशेष कानून बनाने की सिफारिश की है। मुख्यमंत्री को सौंपी गई 128 पन्नों वाली इस रिपोर्ट में राज्य में भीड़ तंत्र द्वारा की जाने वाले हिंसा की घटनाओं का हवाला देते हुये जोर दिया है कि उच्चतम न्यायालय के 2018 के निर्णय को ध्यान में रखते हुये विशेष कानून बनाया जाये।
यह भी पढ़े-ं तबरेज अंसारी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा,’सिर की हड्डी टूटी लेकिन नहीं हुआ था सही इलाज कॉबेटिंग ऑफ मॉब लिचिंग एक्ट रखा जा सकता है नाम आयोग का मानना है कि भीड़ तंत्र की हिंसा को रोकने के लिये वर्तमान कानून प्रभावी नहीं है, इसलिये अलग से सख्त कानून बनाया जाये। आयोग ने सुझाव दिया है कि इस कानून का नाम उत्तर प्रदेश कॉबेटिंग ऑफ मॉब लिचिंग एक्ट रखा जाये तथा अपनी डयूटी में लापरवाही बरतने पर पुलिस अधिकारियों और जिलाधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाये और दोषी पाये जाने पर सजा का प्राविधान भी किया जाए। मॉब लिंचिंग के जिम्मेदार लोगों को सात साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का भी सुझाव दिया गया है।
हिंसा के शिकार को मुआवजा की मांग रिपोर्ट में कहा गया कि हिंसा के शिकार व्यक्ति के परिवार और गंभीर रूप से घायलों को भी पर्याप्त मुआवजा मिलें। इसके अलावा संपत्ति को नुकसान के लिए भी मुआवजा मिले। ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिये पीड़ित व्यक्ति और उसके परिवार के पुर्नवास और संपूर्ण सुरक्षा का भी इंतजाम किया जाए।