डीएम पर कार्रवाई न होने से कोर्ट ने जताई नाराजगी
सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने हाथरस डीएम प्रवीण कुमार लक्षकार पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं करने पर राज्य सरकार पर नाराजगी जताई है। राज्य सरकार की तरफ से कोर्ट में तर्क देते हुए अपर महाधिवक्ता बीके शाही ने शपथपत्र दाखिल किया। अब मामले की अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी। जस्टिस पंकज मित्थल और जस्टिस राजन रॉय की बेंच ने हाथरस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया था। बता दें कि बीते 2 नवंबर को सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट में यूपी के एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार, गृह सचिव तरुण गाबा व हाथरस के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक विक्रांत वीर कोर्ट में पेश हुए थे।
जिलाधिकारी हाथरस प्रवीण कुमार के संबंध में कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि विवेचना के दौरान क्या उन्हें हाथरस में बनाए रखना निष्पक्ष और उचित है? कोर्ट ने कहा था कि हमारे समक्ष भी जो प्रक्रिया चल रही है, उससे वह भी जुड़े हुए हैं। क्या यह उचित नहीं होगा कि सिर्फ निष्पक्षता व पारदर्शिता के लिए इन प्रक्रियाओं के दौरान उन्हें कहीं और शिफ्ट कर दिया जाए? इस पर राज्य सरकार के अधिवक्ता ने अगली सुनवाई पर सरकार का रुख स्पष्ट करने की बात कही थी, लेकिन राज्य सरकार की ओर से अब तक हाथरस जिलाधिकारी के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिये जाने पर कोर्ट ने अपनी नाराजगी जाहिर की है।
पुलिस ने अंतिम संस्कार करने के लिए किया था मजबूर
हाथरस जिले के चंदपा थाना के बूलगढ़ी गांव में 14 सितंबर को 4 युवकों ने कथित तौर पर 19 साल की एक दलित लड़की से सामूहिक दुष्कर्म किया था। इस दौरान लड़की को गंभीर चोट आई थीं। उसे इलाज के लिए पहले जिला अस्पताल, फिर अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज में रखा गया था। हालत बिगड़ने पर पीड़िता को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल लाया गया, जहां इलाज के दौरान 29 सितंबर को उसकी मौत हो गई थी। पीड़िता की 30 सितंबर को रात के अंधेरे में उसके घर के पास ही अंत्येष्टि कर दी गई थी। पीड़िता के परिवार का आरोप है कि स्थानीय पुलिस ने जल्दबाजी में अंतिम संस्कार करने के लिए मजबूर किया था।