एनएचआरसी ने कहा कि ऐसे कई मामलों हो सकते हैं, जिसमें 75 साल से अधिक उम्र के निर्दोष जेल में सजा काट रहे हों, जो स्पष्ट रूप से सेंटेंस रिव्यू बोर्ड (sentence review board) की निष्प्रभाविता को दर्शाते हैं। आयोग ने पाया कि यदि ऐसा है तो यह पीड़ित के मानवाधिकारों का उल्लंघन है। एनएचआरसी ने मुख्य सचिव और यूपी डीजीपी को नोटिस जारी कर मामले में विस्तृत रिपोर्ट की मांग की है। इसमें मामले में जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई के बारे में ब्योरा मांगा गया है। साथ ही पीड़ित को इन वर्षों में पहुंचाई गई चोट की क्षतिपूर्ति के लिए राहत और पुनर्वास के लिए उठाए गए कदम के बारे में जानकारी मांगी गई है।
विष्णु तिवारी को 16 सितंबर, 2000 में गिरफ्तार किया गया था। उस पर रेप और एट्रोसिटीज के तहत एससी/एसटी एक्ट में केस दर्ज किया गया था। साल 2003 में उसे ललितपुर की अदालत ने रेप के मामले में 10 साल व एससी/एसटी एक्ट में आजीवन कारावास की सजा दी गई थी। कोर्ट के आदेश के मुताबिक दोनों सजाएं साथ-साथ चलनी थीं। तिवारी पर आरोप था कि उसने गांव की एक महिला का उस समय बलात्कार किया जब वह घर से खेत में काम करने के लिए जा रही थी।