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Nishad Party: छोटे दलों की बड़ी कहानी- निषाद पार्टी के चलते 25 साल बाद गोरखपुर हारी थी बीजेपी

locationलखनऊPublished: Jul 25, 2021 02:37:41 pm

Nishad Party: यूपी की राजनीति में निषाद अहम, क्या बीजेपी की नैया पार लगा पाएगी निषाद पाटीै। 150 सीटों पर निषाद मतों की बहुलता। जानिये निषाद पार्टी की कहानी।

nishad party

निषाद पार्टी

Nishad Party

दल का नाम- निषाद पार्टी

स्थापना- 2016

संस्थापक- डॉ. संजय निषाद

उद्देश्य- एससी आरक्षण

जनाधार- पूर्वांचल की150 सीटें

प्रमुख नेता- डॉ. संजय निषाद, प्रवीण निषाद

 

मो. रफत फरीदी

पत्रिका न्यूज नेटवर्क

लखनऊ. पूर्वी यूपी में इन दिनों डॉ. संजय निषाद की पार्टी निषाद दल की बहुत चर्चा है। कभी वे केंद्र सरकार और योगी सरकार के प्रति हमलावर हो जाते हैं तो कभी उनके तेवर उनके नरम पड़ जाते हैं। भाजपा के इस सहयोगी दल ने बहुत कम समय में पूर्वांचल की राजनीति में अपनी रसूख कायम कर ली है। केवट, बिंद, मल्लाह और मछुआरा जैसी जातियों को एकजुट करने के मकसद से बना ‘निर्बल इंडिया शोषित हमारा आम दल’ निषाद पार्टी के नाम से जाना जाता है। इस पार्टी ने गठबंधन कर 2018 के लोकसभा उपचुनावों में गोरखपुर संसदीय सीट पर पहली बार जीत हासिल की थी। यहां 25 साल बाद भाजपा हारी थी। बाद में संजय निषाद भाजपा के सहयोग से अपने बेटे को सांसद बनवाने में कामयाब हुए।

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150 सीटों पर महत्वपूर्ण हैं निषाद

मल्लाह, केवट, बिंद, कश्यप और निषाद जैसी जातियों की आबादी पूर्वांचल के कई जिलों में 17 फीसदी तक है। 150 से 160 सीटों पर निषाद मत अच्छी तादात में हैं। गोरखपुर शहर और बांसगांव लोकसभा क्षेत्र की गोरखपुर, शहर, गोरखपुर ग्रामीण, पिपराइच, कैम्पियरगंज, चौरीचौरा, सहजनवां और बांसगांव विधानसभा क्षेत्र में पांच लाख से अधिक निषाद वोटर हैं। मिर्जापुर, संतकबीरनगर, महाराजगंज, कुशीनगर, बलिया, गाजीपुर, जौनपुर, भदोही और चंदौली की विभिन्न सीटों पर भी निषाद वोटरों का प्रभाव है।

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गठबंधन का मिला फायदा

2017 में जौनपुर की मल्हनी सीट से निषाद पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़कर धनंजय सिंह दूसरे स्थान पर रहे तो ज्ञानपुर से विजय मिश्रा पहले विधायक बने। लोकसभा उपचुनाव में गोरखपुर से निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद सपा के सिंबल पर चुनाव लड़े और जीते। 2019 में प्रवीण सपा छोड़कर भाजपा के साथ हो लिए और संत कबीर नगर से भाजपा के टिकट पर सांसद चुने गए।

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निषाद आरक्षण है प्रमुख मांग

निषाद पार्टी की प्रमुख मांग है निषादों को अनुसूचित जाति का आरक्षण मिले। इसी को लेकर 7 जून 2015 को गोरखपुर से सटे सहजनवां के कसरावल में निषादों का बड़ा आंदोलन हुआ। डॉ. संजय निषाद निषादों के बड़े नेता बनकर उभरे। 2016 में पार्टी का गठन हुआ। 2017 में पार्टी ने पहला चुनाव यूपी विधानसभा और 2018 गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव और 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा।

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72 सीटों पर लड़ा था पहला चुनाव

निषाद पार्टी ने 2017 में यूपी विधानसभा चुनाव पीस पार्टी के साथ गठबंधन कर 72 सीटों पर लड़ा। जीत सिर्फ भदोही की ज्ञानपुर सीट पर मिली। जौनपुर की मल्हनी सीट पर पार्टी को 48141 वोट मिले। गोरखपुर ग्रामीण से चुनाव लड़े संजय निषाद को 34,869 वोट मिले। पार्टी को चुनावों में कुल 5,40,539 वोट मिले। पनियरा, कैम्पियरगंज, सहजनवां, खजनी, तमकुहींराज, भदोही और चंदौली में 10 हजार से अधिक वोट पाए। निषाद पार्टी ने छत्तीसगढ़ में 12 सीटों और 36 सीटों पर मध्य प्रदेश में चुनाव लड़ा। वहां कुछ खास कामयाबी नहीं मिली, हालांकि जहां-जहां लड़े वहां बीजेपी हारी थी।

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