म्यूजियम में दिखेंगे कैशबॉक्स लखनऊ डिवीजन के विभागीय रेलवे मैनेजर ने कहा कि 1925 के बाद से लखनऊ डिवीजन के रेवेन्यू में काफी हद तक बढ़ोतरी हुई है। लेकिन अब समय बदल गया है और हर तरह का ट्रांजेक्शन ऑनलाइन होता है। ऐसे में पुराने सिस्टम को पीछे छोड़ कैशबॉक्स में आने वाला सारा पैसा अब एसबीआई की कैश वैन कलेक्ट करेगी और उसे डिवीजनल कार्यालय के खाते में जमा कर देगी। ऑनलाइन मनी ट्रांसफर 15 सितम्बर से शुरू होगा। इस महीने के भीतर, लखनऊ डिवीजन के सभी 164 स्टेशन ट्रांसफर की ऑनलाइन प्रक्रिया को लागू करेंगे। इसी के साथ अब तक इस्तेमाल होने वाले कैशबॉक्स को रेल म्यूजियम में रखा जाएगा। डिजिटल बैंकिंग के युग में आज भी इस तरह को मोड से पैसे देने का सिस्टम जारी है। ऐसे में जहां सारी चीजें ऑनलाइन हो गयी हैं वहीं कैशबॉक्स के सिस्टम को भी हटाकर अब एसबाईआई की कैश वैन के माध्यम से पैसे भेजे जाएंगे।
डैमेज रोकने के लिए भी सही पत्रिका से बातचीत में सतीश कुमार ने बताया कि कैशबॉक्स का इस्तेमाल अब गुजरे जमाने की बात हो गयी है। डिजिटल वर्ल्ड में इसका उपयोग भी नए तरीके से किया जाएगा।कैशबॉक्स से पैसे देने का काम इसलिए रोका जाएगा क्योंकि कैशबॉक्स सेक्योर मोड तो है लेकिन ये उठाने में काफी भारी भी होते हैं। साथ ही अलग-अलग प्लैटफॉर्म के जरिये कैशबॉक्स भेजे जाते हैं जिसमें काफी हद तक डैमेज होते हैं। इस एंगल से भी अगर देखा जाए, तो कैशबॉक्स की जगह कैशवैन का इस्तेमाल सही है। उन्होंने यह भी बताया कि कैशबॉक्स का इस्तेमाल दूसरी जरुरी चीजों के लिए किया जा सकता है।
भारी तादाद में लूटे गए थे कैशबॉक्स बात अगर कैशबॉक्स की हिस्ट्री की करें, तो 9 अगस्त 1925 को आजादी की लड़ाई की खातिर हथियार खरीदने के लिए कैशबॉक्स लूटा गया था। ब्रिटिश अधिकारी सरकारी खजाने के लिए तत्कालीन संयुक्त प्रांत के विभिन्न रेलवे स्टेशनों से कलेक्ट करते थे। इसके बाद पैसों को विभागीय कार्यालय में भेजा जाता था। इसी दौरान 1925 में सहारनपुर से लखनऊ जा रही ट्रेन जब काकोरी स्टेशन पहुंची, तो इस बीच 8 ट्रेनों को लूटा गया था। इन ट्रेनों से हथियार खरीदने के लिए कैशबॉक्स लूटा गया था, जिसमें तब 4600 रुपये थे।