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सपा समेत कई पार्टियों से ज्यादा NOTA को मिले वोट, यूपी में भी बढ़ सकती हैं बीजेपी की मुश्किलें

locationलखनऊPublished: Dec 12, 2018 07:28:20 pm

Submitted by:

Hariom Dwivedi

पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में कई सियासी दलों पर नोटा का वोट प्रतिशत भारी पड़ा है…

nota vote percentage

सपा समेत कई पार्टियों से ज्यादा NOTA को मिले वोट, यूपी में भी बढ़ सकती हैं बीजेपी की मुश्किलें

लखनऊ. राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में हुए विधानसभा चुनाव का परिणाम आ चुका है। छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश में कांग्रेस सबसे पड़ी पार्टी के तौर पर सामने आई है। मिजोरम में एमएनएफ और तेलंगाना में टीआरएस की सरकार बनी है। इन सबके बीच एक आंकड़ा हैरान करने वाला सामने आया है, जो 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश में भी देखने को मिल सकता है। दरअसल, इन राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में कई सियासी दलों पर नोटा (none of the above) भारी पड़ा है। इनमें समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी और राकांपा जैसे दल शामिल हैं।
चुनाव आयोग की वेबसाइट पर जारी आंकड़ों के मुताबिक, पांच राज्यों में आधे फीसदी से लेकर 2.1 फीसदी तक वोट नोटा के पक्ष में पड़े। मिजोरम में 0.5 फीसदी, छत्तीसगढ़ में 2.1 फीसदी, मध्यप्रदेश में 1.5 फीसदी, राजस्थान 1.3 फीसदी और तेलंगाना में 1.1 फीसदी लोगों ने प्रत्याशियों के मुकाबले नोटा को दबाना बेहतर समझा। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो किसान और बेरोजगारी जैसे मुद्दों के अलावा नोटा भी बीजेपी की हार में अहम कारण है। कहा जा रहा है कि एससी-एसटी एक्ट में संशोधन से नाराज लोगों ने नोटा का इस्तेमाल किया है। एससी-एसटी एक्ट में संशोधन के विरोध में भारत बंद के दौरान सवर्ण संगठनों ने बीजेपी सरकार को चेतावनी देते हुए कहा था कि वह इस बार नोटा का बटन दबाकर भारतीय जनता पार्टी को सबक सिखाएंगे।
बीजेपी की राह में रोड़े
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश में भी नोटा का इस्तेमाल देखने को मिल सकता है। पांच राज्यों में हुए चुनाव के दौरान उन सीटों पर नोटा ने बीजेपी की प्रत्याशियों की जीत के सामने दीवार खड़ी कर दी, जहां करीबी मुकाबला था। कई सीटें ऐसी थीं, जिन पर हार का अंतर 100 से ज्यादा या फिर उससे कम था।
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