हाईकोर्ट ने जानना चाहा है कि इतना समय बीतने के बाद अभी तक विभाग में मामला क्यों विचाराधीन है और इसका निपटारा क्यों नहीं हुआ। छह याची याचियों द्वारा हाईकोर्ट में याचिका दायर कर गुहार लगाई है कि उनकी भूमि जिसपर वह खेती करके अपना परिवार पालते थे वह भूमि तो नहर के लिए सिंचाई विभाग ने वर्ष 1980 में अधिग्रहीत कर ली थी लेकिन भूमि का मुआवजा अभी तक नहीं दिया गया। न्यायमूर्ति पंकज मित्तल व न्यायमूर्ति राजीव कुमार सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश याची राम पाल सहित छह लोगों की ओर से दायर याचिका पर दिए हैं।
याचिका दायर कर कहा गया कि शारदा नहर बाराबंकी में वहां के किसानों की भूमि का अधिग्रहण सिंचाई विभाग द्वारा किया गया लेकिन किसानों को कोई मुआवजा नहीं दिया गया। इस संबंध में आरोप है कि बाराबंकी के अधिशासी अभियंता ने कई मांग पत्रों का उल्लेख करते हुए जिलाधिकारी को लिखा भी है लेकिन आज तक मुआवजे की धनराशि से किसान वंचित है।
अदालत से सुनवाई के समय सरकारी वकील ने कहा कि वह इस संबंध में विभाग से जानकारी प्राप्त करना चाहते है कि वास्तविक स्थिति क्या है। अदालत ने मामले को आगामी 12 अक्टूबर के सप्ताह में सूची बद्ध करने के आदेश देते हुए सम्पूर्ण जानकारी मंगाई है। अदालत ने कहा कि इतने लम्बे अरसे से यह मामला विभाग में लंबित क्यों है। इस पर कहा कि कौन से अधिकारी इसके जिम्मेदार हैं।