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मोदी-योगी ने खोले दलितों को रोजगार से जोड़ने के दरवाजे

locationलखनऊPublished: Jul 08, 2019 06:58:29 pm

Submitted by:

Ritesh Singh

मायावती ने दलितों को स्वरोजगार का नहीं दिया रास्ता, पूरे प्रदेश में चलेगा विशेष अभियान

SC ST in UP

मोदी-योगी ने खोले दलितों को रोजगार से जोड़ने के दरवाजे

लखनऊ. अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम दलितों को रोजगार से जोड़ेगा। निगम पूरे उत्तर प्रदेश में जागरुकता शिवर लगाकर इसके लिए विशेष अभियान शुरु कर रहा है। अभियान की शुरूआत सोमवार को गोमती नगर स्थित बौद्ध इंटरनेशनल शोध संस्थान में जागरुकता शिविर के साथ की गई। कार्यक्रम में समाज कल्याण मंत्री रमापति शास्त्री मुख्य अतिथि रहे और निगम के अध्यक्ष डॉ. लालजी प्रसाद निर्मल ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। कार्यक्रम में हजारों लोग शामिल हुए।
विचौलिया अब नहीं बचेंगे

समाज कल्याण मंत्री रमापति शास्त्री ने लोगों से रोजगार करने और अपने लोगों से इस क्षेत्र में आगे आने की अपील की। उन्होंने कहा कि आज नौकरी के पद सीमित होते जा रहे हैं। ऐसे में रोजगार ही एक बड़ा विकल्प है, जिससे लोगों को आर्थिक रूप से मजबूत किया जा सकता है। देश के तमाम दलित उद्यमियों ने रोजगार के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम किया है। आज आंबेडकर की वजह से हाशिए का समाज विकास की मुख्यधारा से जुड़ रहा है। प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी की वजह से दलितों के गांव के लिए अलग से योजनाएं बन रही हैं। एक मुश्त समाधान योजना से ऋण बकाएदारों को बहुत फायदा होगा। सरकार हर तरह से बकाएदारों के लिए सहूलियत देना चाहती है। विकास की इस धारा में जो भी विचौलिया लोगों की मदद को हड़पेगा वह बचेगा नहीं।

मायावती ने दलितों को स्वरोजगार का नहीं दिया रास्ता

अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम के अध्यक्ष एवं राज्यमंत्री (स्तर) डॉ. लालजी प्रसाद निर्मल ने कार्यक्रम के दौरान कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी ने दलितों को रोजगार से जोड़ने के दरवाजे खोल दिए हैं, जबकि मायावती ने दलितों को स्वरोजगार का कोई रास्ता नहीं दिखाया। इसकी वजह से आज दलित आर्थिक तौर पर कमजोर है। जो काम पहले हो जाना चाहिए था, वह काम योगी और मोदी की सरकार अब कर रही है। उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम द्वारा विशेष केंद्रीय सहायता की धनराशि से गरीबी रेखा के नीचे निवास कर रहे अनुसूचित जाति के लोगों को आर्थिक, सामाजिक एवं शैक्षणिक विकास हेतु रोजगार परक योजनाएं संचालित की जा रही हैं। इसके साथ ही अनुसूचित जाति के जिस बीपीएल परिवार के पास खुद की जमीन है उसे दुकान बनाने के लिए आर्थिक सहायता दी जा रही है। धोबी समाज के लिए ब्याज मुक्त ऋण की योजना संचालित की जा रही है।
60.70 करोड़ रुपए की धनराशि लोगों के खाते में

डॉ. निर्मल ने आगे बताया कि रोजगार स्थापित करने के लिए 15 लाख रुपए की वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाई जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद दिसंबर 2013 से हाथ से मैला उठाने वाले व्यक्तियों का प्रतिषेध और उसका पुर्वासन अधिनियम 2013 लागू हो जाने के फलस्वरूप राज्य एवं भारत सरकार द्वारा कराए गए सर्वेक्षण में 28764 मैनुअल स्कैवेजर चिन्हित किए गए। चिन्हित मैनुअल स्कैवेंजरों के पुनर्वासन हेतु केंद्रीय क्षेत्र की एसआरएमएस योजना लागू है। निगम द्वारा बैंक के सहयोग से अधिकतम 15 लाख रुपए तक का ऋण उपलब्ध करवाया जाता है। इसके अतिरिक्त 2 वर्ष का प्रशिक्षण भी दिया जाता है। चिन्हित स्वच्छकारों के परिवार को 40 हजार रुपए की नकद सहायता राशि सीधे उनके खातों में उपलब्ध करवाई जाती है। अब तक 15174 व्यक्तियों को 60.70 करोड़ रुपए की धनराशि लोगों के खाते में भेजी जा चुकी है।
अनुसूचित जाति बाहुल्य गांव होंगे आदर्श

डॉ. निर्मल ने कार्यक्रम में मायावती सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि दलितों के गांव विकास की मुख्यधारा से जुड़ नहीं पाए। इन गांवों में विकास के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना शुरू की है। इसके अंतर्गत वर्तमान वित्तीय वर्ष में पूरे गांव में मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु 724 गांव चिन्हित किए गए हैं।
बकाएदारों के लिए एक मुश्त समाधान योजना

डॉ. निर्मल ने ऋण लेकर रोजगार कर रहे लोगों से अपील की है कि वह ब्याज को लेकर परेशान न हों। अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम विभिन्न योजना के तहत लिए गए ऋण के बकाएदारों के लिए एक मुश्त समाधान योजना लेकर आया है। इसके अंतर्गत ऋण लेने वाले को अवशेष मूलधन पर चुकता अवधि का साधारण ब्याज लेते हुए ऋण मुक्त किया जाता है। निगम अनुसूचित जाति के बीपीएल परिवारों को रोजगार से जोड़ने की हर कोशिश कर रहा है।
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