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NTPC Boiler Blast: जान बच जाए साहब, दोबारा नौकरी करने वहां नहीं जाएंगे

locationलखनऊPublished: Nov 02, 2017 06:10:33 pm

Submitted by:

Prashant Srivastava

NTPC Boiler blast हादसे ने सबको झंकझोर कर रख दिया है। इस हादसे में अब तक 27 से ज्यादा मौतों की आधिकारक पुष्टि हो चुकी है

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प्रशांत श्रीवास्तव, लखनऊ. एनटीपीसी थर्मल पॉवर में बुधवार को हुए हादसे ने सबको झंकझोर कर रख दिया है। इस हादसे में अब तक 27 से ज्यादा मौतों की आधिकारक पुष्टि हो चुकी है वहीं 100 से ज्यादा लोग घायल हैं। राजधानी के मेडिकल कॉलेज व सिविल अस्पताल में भर्ती घायलों का हाल जानने जब पत्रिका टीम पहुंची तो कई ऐसे किस्से जानने को मिले जिन्हें सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे। मौत के मुंह से निकलकर आए कई कर्मियों ने बताया कि घटना का वो मंजर जहन में आते ही आंखों में आंसू आ जाते हैं, उनके कई साथी मर चुके हैं। दिल में इतना डर है कि वो अब वापस जाकर एनटीपीसी में काम करना नहीं चाहते। उनका कहना था, ‘जान बच जाए साहब, दोबारा नौकरी करने वहां नहीं जाएंगे’।
नहीं जाना वहां नौकरी करने

केजीएमयू के स्पेशल सर्जरी डिपार्टमेंट में एडमिट घायल राकेश कुमार ने हादसे का दर्द बताते हुए कहा कि वे ऐसी भयानक घटना के बाद वे कभी ऊंचाहार एनटीपीसी में काम करने नहीं जाएंगे। 275 रु दिहाड़ी पर काम करने वाले राकेश कुमार 5% ही जले लेकिन ऊपर से गिरने के कारण कई जगह चोट आ गई है। राकेश ने बताया कि बुधवार दोपहर जब वो बॉयलर के पास काम कर रहे तभी ब्लास्ट हुआ। चारों ओर अंधेरा सा छा गया,फिर अफरा-तफरी मच गई। कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। ये हादसा इतना भयानक था कि किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था। उनके कई साथी वहां अंदर फंस गए। उनमें से कौन जिंदा है कौन नहीं ये उन्हें नहीं पता। झारखंड के रहने वाले राकेश ने बताया कि डिस्चार्ज होने के बाद वे अपने घर चले जाएंगे।
साथियों की जान जाने का दुख

राकेश को उनके साथी सुरेश अस्पताल लेकर आए। सुरेश वहां फिटर के तौर पर कार्यत हैं। हादसे के दौरान वे बॉयलर से थोड़ा दूर थे इसलिए उन्हें ज्यादा चोट नहीं आई लेकिन दिल में इतना डर भर गया है कि अब दोबारा एनटीपीसी नहीं जाना चाहते। वे चाहते हैं कि उन्हें उनके बाकी पैसों का पेमेंट कर दिया जाए और किसी तरह उन्हें अपने घर जाने को मिले। कई कर्मियों को मोबाइल, पर्स समेत जरूरी सामान वहीं रह गया। मोबाइल में घर वालों के नंबर भी थे। सुरेश ने बताया कि दिल में इतना डर भर गया है कि तब से न नींद आ रही है और न हीं कुछ खाने की इच्छा हो रही है। जिन साथियों के साथ खाना खाया करते थे वे न जाने अब जिंदा भी हैं या नहीं।
मां से किया था अगले हफ्ते घर आने का वादा

सिविल अस्पताल में एक घायल के साथ आए सोनू कुमार ने बताया कि उनके साथी मनोज ने बुधवार सुबह ही अपनी मां से फोन पर बातचीत में कहा था कि वो अगल हफ्ते घर जरूर आएंगे क्योंकि दिवाली पर वे घर नहीं जा पाए थे लेकिन अब मनोज अस्पताल में जिंदगी-मौत के बीच जूझ रहे हैं।
लापरवाही भी है हादसे का बड़ा कारण

एनटीपीसी की 500 मेगावाट की यूनिट नंबर 6 का संचालन करीब एक पखवारा पहले शुरू कर दिया गया। एक इंजीनियर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यह यूनिट अभी सही से कमीशन भी नहीं हुई थी। फिर भी इसे जबरदस्ती मैन्युअल चला दिया गया। गुस्से में ये इंजीनियर कहते हैं ये यूनिट इसलिए चलाई गई कि अफसरों की प्रमोशन की लालसा पूरी हो। तीन साल का प्रोजेक्ट ढाई साल में पूरा करवाने के चक्कर में ये हादसा हुआ।
देखें वीडियो- चश्मदीद ने बताया कैसे हुआ था हादसा

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