4006 नमूने जांच में इससे पहले यूपी में 48 लोगों में कोरोना की पुष्टि हुई थी। ये सभी तबलीगी जमात में शामिल होकर वापस लौटे थे। स्वास्थ् विभाग ने इन सभी की जांच कराने के आदेश दिए। उत्तर प्रदेश में अभी तक कुल 4006 संदिग्ध मरीजों के नमूने जांच के लिए लैब भेजे जा चुके हैं और इसमें से 3635 मरीजों की रिपोर्ट निगेटिव आई है। इनमे से किसी में कोरोना की पुष्टि नहीं हुई है। वहीं, अन्य की रिपोर्ट आना बाकी है।
कोविड केयर फंड से बचाव करेगी सरकार विश्वव्यापी महामारी कोरोना वायरस के मद्देनजर कोविड केयर फंड बनाने का फैसला किया है। जिसके माध्यम से राज्य के मेडिकल कॉलेजों में टेस्टिंग लैब्स की संख्या बढ़ाने का कार्य किया जाएगा। इसके अलावा क्वारेन्टाइन वार्ड, आइसोलेशन वार्ड, वेंटिलेटर्स की व्यवस्था के साथ-साथ एन-95 मास्क और पीपीई के निर्माण की कार्ययोजना भी तैयार की जाएगी। कोविड-19 के बेहतर उपचार के लिए प्रत्येक जनपद में लेवल-1, लेवल-2 तथा लेवल-3 हॉस्पिटल की एक श्रृंखला बनायी जाएगी। योगी ने कहा कि प्रदेश सरकार उपलब्ध संसाधनों के माध्यम से इस आपदा के दौरान जरूरतमंदों की मदद के साथ स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने का कार्य करेगी।
कोरोना ने तोड़ी किसानों की कमर कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए लगाए गए लॉकडाउन ने किसानों पर कहर बरपाया है। बाजार में सब्जियां जा नहीं पा रहीं और बिचौलिये दाम कम दे रहे हैं। यहां तक कि जो सब्जियां खेतों में पड़ी हैं, वे भी पड़े-पड़े सड़ रही हैं। लॉकडाउन में किसानों की आमदनी पर बड़ी असर पड़ रहा है, खासकर लखनऊ, गोरखपुर और कानपुर के किसान ज्यादा परेशान हैं। किसान या तो फल और सब्जियों को फेंक दे रहे हैं या उन्हें जानवरों को खिला दे रहे हैं। यहां तक दूध उत्पादन भी प्रभावित हुआ है। निराश होकर 10 गांव के दर्जनों किसानों ने सरकार के पत्र लिखकर आत्महतिया करने की चैतावनी दी है। किसानों का कहना है कि पहले ओला बारिश से उनकी फसलों को नुकसान हुआ। अब लॉकडाउन के चलते गांव में सब्जी लेने व्यापारी आ नहीं रहे हैं। इससे उनका माल बाजार तक नहीं पहुंच रहा जिससे कि उनकी सब्जियां सड़ रही हैं। मजबूर होकर उन्हें सस्ते दाम में सब्जी बेचनी पड़ रही है जिससे उन्हें बड़ा आर्थिक नुकसान हो रहा है।
नहीं बिक रहा दूध लॉकडाउन में प्रदेश के गांव में दूध व्यवसाय भी चरमरा गयी है। दूध बेचने वालों को अब ग्राहक नहीं मिल रहे जिससे कि दूध को सस्ता बेचना पड़ रहा है। लोग 15-20 रुपये लीटर दूध बेचने को मजबूर हैं जबकि लॉकडाउन से पहले यह 40-50 रुपये प्रति लीटर मिलता था। दूसरी ओर चारे के भाव आसमान छूने लगे हैं। आमतौर पर इस वक्त तक लोगों के पास जनवरों को खिलाने वाला चारा खत्म हो जाता है या बहुत कम बचता है। गेहूं कि कटाई से नया चारा बाजार में आ जाता है। लेकिन इस बार चारे की समस्या खड़ी हो गई है। चारे का दाम आसमान छू रहा है। 100 किलो के चारे की कीमत 500 से 1000 रुपए तक बढ़ गई है।