नहीं चलेंगी पुरानी गाड़ियां सरकार के इस आदेश के मुताबिक डीएम कौशल राज शर्मा ने साफ कर दिया है लखनऊ में 10 साल पुरानी डीजल गाडियां और 15 साल पुरानी पेट्रोल गाडियां अब सड़कों पर नहींं दौड़ेंगी। आपको बता दें कि लखनऊ में 20 लाख से ज्यादा पुरानी गाड़ियां सड़कों पर दौड़ रही हैं। राज्य सरकार का कहना है कि इन पुरानी गाड़ियों से लखनऊ में प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है।
डीएम ने ली बैठक डीएम कौशल राज शर्मा ने पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के साथ आरटीओ, पीडब्ल्यूडी, नगर निगम और लखनऊ मेट्रो के अधिकारियों की बैठक ली। इस बैठक में शहर में एयर पॉल्यूशन के लिए जिम्मेदार विभागों को चेताया गया। साफ कर दिया गया कि किसी भी हाल में शहर की आबोहवा को जहरीला बनाने वाले फैक्टर्स बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि महीने भर में एयर इंडेक्स की गंभीरता से मॉनीटरिंग की जानी है। जिलाधिकारी ने अपने आदेश में क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी लखनऊ को पुरानी गाडिय़ों से संबंधित आंकड़े पेश करने को कहा है। जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने कहा है कि सरकारी गाडिय़ों की भी प्रदूषण जांच कराई जाए। उत्तर प्रदेश की राजधानी में बड़ी तादाद में सरकारी गाडियां भी सड़क पर मौजूद हैं, जिनमें बड़ी संख्या डीजल चालित गाड़ियों की है।
15 दिसंबर तक खुद ही हटा लें गाड़ियां डीएम कौशल राज शर्मा ने बताया कि पहले 15 दिसंबर तक जागरूकता अभियान चलाया जाएगा ताकि लोग अपनी गाड़ियों को खुद ही हटा दें। डीएम ने साफ कर दिया कि जिनके पास 15 साल पुराने पेट्रोल और 10 साल पुरानी डीजल गाड़ियां हैं। ऐसे गाड़ी मालिक माइंड मेकअप कर लें क्योंकि आने वाले वक्त में उन्हें अपनी पुरानी गाड़ी सड़क से हटानी ही होगी। यहीं नहीं मेट्रो की कंस्ट्रक्शन साइट पर भी हवा में घुल रहे फाइन पार्टीकल्स पर भी एनवयारमेंट इंजीनियरों को नजर रखने के लिए कहा गया है।
स्मोग का प्रकोप पिछले सप्ताह परिवहन विभाग ने एनसीआर और आसपास के इलाकों में 10 साल पुरानी डीजल चालित गाडिय़ों पर रोक लगा दी थी। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के आठ जिलों मेरठ, गाजियाबाद, गौतमबुद्धगर, शामली, बुलंदशहर, हापुड़, मुजफ्फरनगर और बागपत के लिए यह आदेश जारी किया गया था। आपको बता दें कि पिछले दिनों से दिल्ली, उत्तर प्रदेश सहित पूरे उत्तर भारत में स्मोग का प्रकोप चल रहा है। हालांकि कई स्थान पर इसमें कमी आई है लेकिन फिर भी यह स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक है। इसीलिये दिल्ली सहित पूरे एनसीआर इलाके में पुरानी गाड़ियों को हटाने के आदेश एनजीटी ने दिए थे। इसमें उत्तर प्रदेश के मेरठ, गाजियाबाद और नॉएडा शहर भी शामिल हैं।