सूडा निर्देशक देवेंद्र पांडेय ने बताया कि रेलवे के कई कोच अनुपयोगी हैं। ऐसे में इन्हे आवश्यकता होने पर दुरस्त कर एक चिन्हित स्थान पर रखा जा सकता है जिसमें बेघर रात गुज़ार सकते हैं। रेलवे की ओर से जवाब आने पर आगे की पहल की जाएगी।
बता दें कि शहरी बेघरों को आश्रय देने के अधिकार के संबंध में उच्चतम न्यायालय में याचिका ईआर कुमार व अन्य बनाम भारत गणराज्य व अन्य विचाराधीन है। इसमें शहरी बेघरों के लिए समुचित सं या में अपेक्षित सेवाओं और सुविधाओं से युक्त स्थायी आश्रय गृह उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं। यह आश्रय गृह सभी मौसम के लिए उपयुक्त होने चाहिए। राजधानी समेत प्रदेश के प्रत्येक शहर में स्थायी रैन बसेरों का निर्माण कराया गया है। यहां पर बेड, गद्दे, चादर व क बल के साथ ही खाने पीने तथा गर्मी में कूलर की भी व्यवस्था उपलब्ध होगी। लेकिन शहरी बेघरों की सं या के मुताबिक आश्रय गृहों की सं या काफी कम है। राजधानी में ही करीब 23 शेल्टर होम बने हैं। जबकि शहर में करीब 5,000 बेघर फुटपाथ पर रात बिता रहे हैं। रैन बसेरों में उपलब्ध स्थान इनकी तुलना में कम है। जबकि जनगणना 2011 के अनुसार इनकी सं या लाखों में हैं। भारत सरकार के आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय यूपी सेल व रेल मंत्री भारत सरकार ने अनुपयोगी रेलवे यात्री कोच को शेल्टर होम में परिवर्तित कर शेल्टर होम में उपयोग किए जाने के निर्देश दिए हैं। इस संबंध में मु य सचिव उत्तर प्रदेश शासन की अध्यक्षता में बीते माह बैठक में इसके अनुपालन के निर्देश दिए गए हैं। पत्र के अनुसार शहरी बेघरों को आश्रय उपलब्ध कराने के विभिन्न विकल्पों के संबंध में रोड मैप तैयार करना है। रेलवे कोच के लिए राज्य नगरीय विकास अभिकरण, सूडा के निदेशक देवेंद्र कुमार पांडेय की ओर से प्रदेश के समस्त मंडल रेलवे प्रबंधक के मंडल रेल प्रबंधक को पत्र भेजा गया है।
रेलवे विभाग से मांगी गई सूचना
अनुपयोगी रेलवे यात्री कोच जो कम मरम्मत के बाद रहने लायक बनाए जा सकते हैं, को लेकर सूचनाएं मांगी गई हैं। कोचों की सं या, कोचों की वर्तमान स्थिति, किस शहर के किस रेलवे स्टेशन पर उपलब्ध है, कोचों को रहने लायक बनाए जाने के लिए आवश्यक मर मत कहां और कैसे की जा सकेगी आदि का विवरण संबंधी जानकारी मांगी गई है।
अनुपयोगी रेलवे यात्री कोच जो कम मरम्मत के बाद रहने लायक बनाए जा सकते हैं, को लेकर सूचनाएं मांगी गई हैं। कोचों की सं या, कोचों की वर्तमान स्थिति, किस शहर के किस रेलवे स्टेशन पर उपलब्ध है, कोचों को रहने लायक बनाए जाने के लिए आवश्यक मर मत कहां और कैसे की जा सकेगी आदि का विवरण संबंधी जानकारी मांगी गई है।
सामुदायिक केंद्रों में रात गुज़ारने की व्यवस्था
इसके अलावा अस्थायी तौर पर आश्रय गृह के लिए सूडा, डूडा तथा स्थानीय निकाय के सामुदायिक केंद्रों में भी बेघरों को ठहराया जाएगा। यहां 25 से 50 शहरी बेघरों के लिए ठहरने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। इन भवनों के बाहर अस्थायी शेल्टर होम को साइन बोर्ड लोकेशन के साथ लगाया जाएगा। यहां पर सिर्फ रात में ही रूक सकेंगे। इस बाबत निदेशक सूडा देवेंद्र कुमार पांडेय ने समस्त जिलाधिकारी व अध्यक्ष डूडा, नगर आयुक्त, अधिशासी अधिकारी तथा परियोजना निदेशकों को पत्र भेजा गया है।
इसके अलावा अस्थायी तौर पर आश्रय गृह के लिए सूडा, डूडा तथा स्थानीय निकाय के सामुदायिक केंद्रों में भी बेघरों को ठहराया जाएगा। यहां 25 से 50 शहरी बेघरों के लिए ठहरने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। इन भवनों के बाहर अस्थायी शेल्टर होम को साइन बोर्ड लोकेशन के साथ लगाया जाएगा। यहां पर सिर्फ रात में ही रूक सकेंगे। इस बाबत निदेशक सूडा देवेंद्र कुमार पांडेय ने समस्त जिलाधिकारी व अध्यक्ष डूडा, नगर आयुक्त, अधिशासी अधिकारी तथा परियोजना निदेशकों को पत्र भेजा गया है।
लखनऊ नगर निगम क्षेत्र में शहरी बेघर – 5 हजार
पुरुषों की संख्या – 4415
महिलाओं की संख्या – 413
बच्चों की संख्या 14 वर्ष से कम – 164
वृद्घों की संख्या -14