चालीस पत्रकारों पर एफआईआर राजभर ने ट्वीट करते हुए कहा कि एक साल में चालीस पत्रकारों पर एफआईआर हुई। पत्रकारों की हत्या हो गयी। सरकार के खिलाफ खबर लिखने पर ईओडब्लू जैसी ऐजेंसी पीछे लगा दी गई पर जो आज अर्नब की गिरफ्तारी पर बिलबिला रहे है वह खामोश थे और अर्नब की गिरफ्तारी से इनको लोकतंत्र की याद आ रही है। नौटंकी इसी को कहते है।
इमरजेंसी या रामराज? राजभर ने एक अन्य ट्वीट में लिखा कि योगी सरकार में मिड डे मील के नाम पर मासूम बच्चों को नमक रोटी परोसे जाने की खबर सामने लाने वाले मिजार्पुर के पत्रकार पवन जायसवाल, आजमगढ़ के पत्रकार संजय जायसवाल, प्रशांत कनौजिया भ्रष्टाचार उजागर करने वाले मनीष पांडेय के साथ यूपी सरकार ने जो किया वो क्या था। इमरजेंसी या रामराज। योगी सरकार में मंत्री रह चुके राजभर ने लिखा कि पत्रकार गौरी लंकेश, नरेंद्र दाभोलकर पर जानलेवा हमले होते हैx। प्रशान्त कनोजिया को जेल में डाला जाता है। दलित पत्रकार मीना कोटवाल के साथ हाल ही में बिहार के मोतिहारी में बदसुलूकी की जाती है। तब अर्णव के समर्थन में उतरने वाले बीजेपी के लोग छfपे होते है या फंसे होते है। पूछता है भारत।