जुएं व सट्टे का यह खेल 0 से लेकर 9 नंबर तक चलता है। इनमें से जिस सटोरिये का नंबर फंसता है, उसे 10 के बदले 90 और 100 के बदले 900 रुपये मिलते हैं। नेट पर एक ही नंबर आता है, जिससे 9 नंबरों का रुपया उन्हें सीधा-सीधा बच जाता है, जिसका पैसा सीधा सट्टा माफियाओं की जेब में जाता है।
उत्तर प्रदेश में सट्टा और जुएं का कारोबार (online
Satta King desawar) पूरी तरह से प्रतिबंधित है। सआदतगंज ही नहीं, राजधानी के विभिन्न इलाकों में सट्टा खेले जाने की बात सामने आती रहती है। कई बार गिरफ्तारियां भी होती हैं, लेकिन फिर भी सूबे में यह फल-फूल रहा है। कुछ पुलिसकर्मियों की सह पर भी सट्टा खेले जाने की बात सामने आती रहती है।
सट्टा खिलवाने के लिए पुलिस को देते हैं 30 हजार प्रतिमाह
सोमवार को लखनऊ में जब पुलिस टीम सटोरिये मेहताब को पकड़ने गई, मोहल्ले की महिलाओं ने पुलिसवालों से धक्का-मुक्की करते हुए हाथापाई तक करने पर उतारू हो गईं। महिलाओं ने पुलिस पर सीधा आरोप लगाते हुए कहा कि सट्टा खिलवाने के लिए वह हर महीने पुलिस को 30 हजार रुपए प्रतिमाह देते हैं, फिर पुलिस उनके अड्डे पर दबिश क्यों दे रही है? बाजजूद इसके पुलिस अपने घर पर सट्टा खिलवाने वाले मेहताब को पकड़ कर ले गई। मोहल्ले की नाराज औरतों ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए सड़क जाम कर दी।
प्रभारी निरीक्षक बोले
प्रभारी निरीक्षक नीरज ओझा ने बताया कि यासीनगंज के बैदनटोला निवासी मेहताब के सेंसेक्स पर सट्टा खिलवाने की शिकायत मिली थी। इसके बाद पुलिस टीम ने मौके पर जाकर उसे गिरफ्तार कर लिया।