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Opinion : पश्चिमी यूपी से लेकर बुंदेलखंड, रुहेलखंड और मध्य यूपी में लोग विचित्र बीमारी से पीड़ित, हर दिन जा रही जान

locationलखनऊPublished: Oct 12, 2021 05:51:05 pm

Submitted by:

Hariom Dwivedi

Opinion : सवाल है जब मौसमी बीमारियों का यह सिलसिला हर साल चलता है, तब शासन-प्रशासन इससे सबक लेकर समय रहते ऐसी स्थितियों से निपटने की तैयारियां क्यों नहीं करता? ऐसे में अब जरूरी है कि पूर्वांचल में जिस तरह से इंसेफेलाइटिस के खिलाफ युद्ध स्तर पर काम किया गया, पूरे यूपी में वैसी ही सक्रियता दिखनी चाहिए।

 opinion on dengue treatment and heath system
Opinion. कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच उत्तर प्रदेश डेंगू और वायरल बुखार से हलाकान है। खासकर बीते एक महीने से पश्चिमी उत्तर प्रदेश और रुहेलखंड में हर दिन बुखार से लोगों की मौत हो रही है। अकेले मथुरा में अब तक 150 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। बड़ी संख्या में लोग बीमार हैं। इनमें अधिकतर बच्चे हैं। फर्रुखाबाद जिले के 10 हजार की आबादी वाले बरौन गांव में 2 हजार से अधिक ग्रामीण विचित्र बुखार से पीड़ित हैं। गाजियाबाद, कानपुर और उन्नाव सहित करीब एक दर्जन जिलों के कई गांवों में सैकड़ों लोग बीमार हैं। इस बीमारी में तेज बुखार के साथ सर्दी-जुकाम और खांसी लोगों के जान की दुश्मन बन गई है। सबसे चिंताजनक तो यह है कि विचित्र बुखार से पीडि़त लोगों की प्लेटलेट्स भी कम हो रही हैं। डॉक्टर भी असमंजस में हैं। कोई डेंगू, कोई मलेरिया तो कोई इस बीमारी को टायफायड बता रहा है। सरकारी प्रयास जारी हैं, लेकिन वह नाकाफी साबित हो रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की ओर मलेरिया रोधी छिड़काव भी किया जा रहा है, लेकिन मच्छर दिन दूने रात चौगुने बढ़ रहे हैं।
मुश्किल यह है कि बीमारी फैलने के बाद ही संबंधित क्षेत्र में स्वास्थ्य महकमा और स्थानीय प्रशासन सतर्क होता है। स्वास्थ्य कैंप लगाये जाते हैं। साफ-सफाई और छिड़काव पर फोकस किया जाता है। अलग-अलग माध्यमों से लोगों को जागरूक किया जाता है। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।
सवाल है जब मौसमी बीमारियों का यह सिलसिला हर साल चलता है, तब शासन-प्रशासन इससे सबक लेकर समय रहते ऐसी स्थितियों से निपटने की तैयारियां क्यों नहीं करता? ऐसे में अब जरूरी है कि पूर्वांचल में जिस तरह से इंसेफेलाइटिस के खिलाफ युद्ध स्तर पर काम किया गया, पूरे यूपी में वैसी ही सक्रियता दिखनी चाहिए। पूरब से पश्चिम तक डेंगू जैसी बीमारियों से निपटने के लिए समग्र नीति बनाई जाए। प्रशासन सफाई अभियान चलाकर मच्छरों का खात्मा कर सकता है। इसी तरह नालियों की सफाई कर पानी के जमाव को रोका जा सकता है। लेकिन इसके लिए इच्छाशक्ति चाहिए, न कि कागजी खानापूर्ति।
सरकार के साथ-साथ लोगों को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। अपना घर के साथ ही आसपास के इलाके को भी स्वच्छ रखना सभी का नैतिक कर्तव्य है। नालियों को रोजाना साफ करें। कहीं पर भी गंदा पानी न भरने दें। कोशिश करें की घूरा गांव के मुख्य मार्ग से हटकर खेतों में हो। स्वच्छता और सफाई पर सख्त रुख अपनाकर ही वर्षाजनित बीमारियों से रोकथाम संभव है। (ह.ओ.द्वि.)
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