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गन्ना किसानों और शिक्षामित्रों की समस्या को मुद्दा बनाने की कोशिश में विपक्ष

locationलखनऊPublished: Mar 25, 2019 03:27:54 pm

Submitted by:

Karishma Lalwani

विपक्षी पार्टियां किसानों और बेरोजगारों की समस्याओं के मुद्दे पर सत्तारूढ़ भाजपा को घेरने की कोशिश में लगी हैं

akhilesh yadav

गन्ना किसानों और शिक्षामित्रों की समस्या को मुद्दा बनाने की कोशिश में विपक्ष

खूब जमेगा रंग जब मिल बैठेगें संग
डूबती नइया को नई खिवइया… लगता है नींद खुल गयी

चुनावी विश्लेषण

लखनऊ. लोकसभा चुनाव में प्रचार अब धीरे-धीरे तेजी पकड़ रहा है। लेकिन, अभी कोई खास विषय चुनावी मुद्दा नहीं बन पाया है। विपक्षी पार्टियां किसानों और बेरोजगारों की समस्याओं के मुद्दे पर सत्तारूढ़ भाजपा को घेरने की कोशिश में लगी हैं। रविवार को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने पश्चिमी उप्र में गन्ना किसानों के बकाया भुगतान को लेकर ट्वीट किया। इसके बाद रालोद महासचिव जयंत चौधरी ने भी गन्ना मूल्य भुगतान को बड़ी समस्या बताते हुए ट्वीट किया। बाद में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गन्ना मूल्य का बकाया भुगतान कर देने की सफाई ट्वीट करके दी। सोमवार को शिक्षामित्रों की स्थायी नौकरी पर ट्वीटर वार छिड़ गया। अखिलेश ने कई वर्गों की समस्याओं को उठाते हुए लिखा-खूब जमेगा रंग, जब मिल बैठेंगे संग। उधर, योगी ने प्रियंका पर तंज कसा-डूबती नइया को नई खिवइया… लगता है नींद खुल गयीं।
सोशल मीडिया बना प्रचार का जरिया

इस बार का चुनाव प्रचार कुछ अलग तरीके से किया जा रहा है। भाजपा हो या फिर सपा-बसपा या कांग्रेस सभी पार्टियां चुनावी सभाओं और रैलियों के साथ ही सोशल मीडिया पर भी जंग लड़ रही हैं। चुनावी सरगर्मी बढ़ गयी है लेकिन, किसी भी दल के पास चुनावी मैदान में जाने के लिए कोई ठोस मुद्दा नहीं है। इसलिए किसान और बेरोजगारी जैसे परपंरागत मुद्दे पर सपा-बसपा और कांग्रेस भाजपा को घेरने में जुटी हैं। रविवार को गन्ना किसानों के मुद्दे पर भाजपा और विपक्ष आमने सामने थे तो सोमवार को शिक्षामित्रों का मुद्दा गरमाने की कोशिश की गयी। खास बात यह है कि इन दोनों ही संजीदा और गंभीर मुद्दों पर लड़ाई खेत-खलिहान और गांव में लडकर एसी कमरों में बैठकर ट्वीटर पर लड़ी गयी।
गन्ना किसानों पर प्रियंका योगी आमने-सामने

रविवार को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया-गन्ना किसान दिनरात मेहनत करते हैं। मगर यूपी सरकार भुगतान का भी जिम्मा नहीं लेती। किसानों का 10,000 करोड़ बकाया है। इसके बाद तो ट्वीट की लाइन लग गयी। रालोद महासचिव जयंत चौधरी ने भी इस मुद्दे पर योगी सरकार को घेरा।
https://twitter.com/hashtag/Sanchibaat?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw
https://twitter.com/hashtag/ganna?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw
अंतत: सीएम योगी को गन्ना किसानों के मुद्दे पर जवाब देना पड़ा। उन्होंने प्रतिउत्तर में ट्वीट किया-ये तथाकथित हितैषी अब तक कहां थे। जब 2012 से 2017 तक किसान भुखमरी के कगार पर थे। हमने दो साल में पिछली सरकारों का भी बकाया चुकाया है। कुल 57,800 करोड़ का भुगतान किया गया।
https://twitter.com/myogiadityanath/status/1109702760302178304?ref_src=twsrc%5Etfw
गन्ना किसानों की समस्याओं पर बसपा अध्यक्ष मायावती ने ट्वीट किया और लिखा कि जब गन्ना किसानों का 10 हजार करोड़ बकाया है तो किसान कैसे खुशहाल रहेंगे। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी भाजपा सरकार को घेरा।
https://twitter.com/Mayawati/status/1110057564203569152?ref_src=twsrc%5Etfw
शिक्षा मित्रों पर अखिलेश को मिला प्रियंका का साथ

सोमवार की सुबह अखिलेश यादव उप्र के दूसरे सबसे संवेदनशील मुद्दे को उठाया। उन्होंने ट्वीट किया-यूपी के शिक्षामित्रों को स्थाई नौकरी चाहिए, चौकीदारी नहीं। उन्होने लिखा कि- यूपी शिक्षामित्र, यूपी बीपीएड, यूपीटीईटी 2011, यूपी शिक्षा प्रेरक, यूपी बीपीएड अनुदेशक दावेदार, यूपी ग्राम रोजगार सेवक, यूपी आंगनबाड़ी सहायिका, यूपी आशा बहू, यूपी रसोइया और कार्यरत अनुदेशकों को स्थाई नौकरी चाहिए, स्थाई चौकीदारी नहीं। अखिलेश ने लिखा कि जनता के आक्रोश और हार के डर से भाजपा नेता और कार्यकर्ता गर्मी का बहाना करके प्रचार करने से बच रहे हैं। अखिलेश की ट्वीट के बाद तो कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी एक के बाद कई ट्वीट किए। उन्होंने भी पहले शिक्षामित्रों की बात की। लिखा- उत्तर प्रदेश में शिक्षामित्रों की मेहनत का रोज अपमान होता है। सैकड़ों पीडि़तों ने आत्महत्या कर ली। जो सडक़ों पर उतरे सरकार ने उनपर लाठियां चलाईं। रासुका दर्ज किया। भाजपा के नेता टीशर्टों में व्यस्त हैं। काश वे अपना ध्यान दर्दमंदों की ओर भी डालते। प्रियंका यहीं नहीं रुकीं। उन्होंने अनुदेशकों, आशाकर्मियों, आंगनबाडिय़ों और सहायिकाओं आदि के मुद्दे पर भी ट्वीट कर योगी सरकार को घेरने की कोशिश की। इतने के बाद भला सीएम योगी आदित्यनाथ कहां पीछे रहने वाले थे। उन्होंने भी एक के बाद एक कई ट्वीट किए और लिखा कि-कांग्रेस की डूबती नईया की नई खिवईया भ्रामक प्रचार से जनता को बरगलाने में लगी हैं, अब तक आशा बहनों की शुभ चिंतक कहां थी। नींद खुल गयी? आशाओं को 600 रुपये के जेएसवाई के तहत प्रसव पूर्व देखभाल और उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था के संस्थागत प्रसव के लिये उन्हें अतिरिक्त 300 रु. मिल रहे हैं।
https://twitter.com/yadavakhilesh/status/1110030880620322816?ref_src=twsrc%5Etfw
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