मंगलाचरण के बाद नृत्य नाटिका ‘पंचतत्व‘ की प्रस्तुति उनकी वरिष्ठ षिस्याओं ने दी। इसमें दिखाया गया कि सृष्टि की रचना ईष्वरीय लीला है। पंच महाभूत ही इस लीला के संवाहक हैं। इसका परस्पर संतुलन ही हमारे जीवन को स्वस्थ एवं खुषहाल बनाता है। इस नृत्य नाटिका के उपरान्त भाव को अत्यंत कलात्मक रूप से दीपमाला सचान, अदिति थपलियाल, अमीषा तिवारी, रोषनी, प्रेरणा राणा व रंजना षर्मा ने प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम में बड़ोदरा से आईं डा0 कुमकुमधर की वरिष्ठ षिष्या डा0 रूक्मिणी जायसवाल ने षायर राषिद की गजल पर सुंदर अभिनय प्रस्तुत किया। इसके उपरांत चार अंगों से बनी रचना ‘चतुरंग‘ की प्रस्तुति दी। दर्षकों में संगीत व रंगमंच जगत से जुड़े अनेक सुप्रसिद्ध कलाकार भी यहां उपस्थित रहे। उन्होंने कलाकारों की सराहना की। कार्यक्रम का समापन विषिष्ट आमंत्रित कलाकार दिल्ली से आए सुप्रसिद्ध नर्तक पंडित राममोहन महाराज की कथक प्रस्तुति से हुआ।
उन्होंने अपनी प्रस्तुति का प्रारंभ ‘तिलकभाल पीताम्बर सोहे…‘ से किया। इसके बाद षुद्ध नृत्य के अंतर्गत उपज, टुकडे़, परन, गतनिकास, गतभाव आदि की प्रस्तुति दी। अंत में विंदादीन महाराज द्वारा रचित ठुमरी ‘हटो छेड़ो न कन्हाई काहे को रार मचाई…‘ पर दर्षकों का मन मोह लिया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में खेल मंत्री चेतन चैहान और विषिस्ट अतिथि के रूप में प्रोफेसर श्रुति सडोलीकर काटकर, कुलपति भातखंडे विष्वविद्यालय एवं डा0 पूर्णिमा पांडेय, अध्यक्ष उत्तर प्रदेष संगीत नाटक अकादमी मौजूद रहीं। कार्यक्रम का आयोजन संगीत नाटक अकादमी नई दिल्ली एवं दर्पण के सहयोग से किया गया।