करीब एक साल पहले जिला पंचायत राज अधिकारी डॉ अवधेश सिंह ने जिले का चार्ज संभाला था। तब से पंचायती राज विभाग के माध्यम से चलाए जा रहे स्वच्छता भारत मिशन जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम चौपट हो गए हैं। ज्यादातर गांव में सफाईकर्मी ड्यूटी के नाम पर सिर्फ खानापूरी कर रहे हैं और जुगाड़तंत्र से वेतन की निकासी भी की जा रही है। यही नहीं जिले भर की पंचायतों में जो सामुदायिक शौचालय बनाए गए उनका कोई उपयोग नहीं किया जा रहा और ज्यादातर योजनाएं कागजों तक ही सिमट कर रह गई हैं।
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शौचालयों के निर्माण में भ्रष्टाचार पंचायत सचिवालयों व सामुदायिक शौचालयों के निर्मांण में भी जमकर भ्रष्टाचार हुआ लेकिन डीपीआरओ ने आंखे मूंदे रखीं। अपने कार्यालय में वह अधिकांश प्रधान व सचिवों से ही सेटिंग गेटिंग में मशगूल रहते हैं और ग्राम पंचायतों का नियमित निरीक्षण न किए जाने से हालत खराब हैं। इसके पहले भी उनको एक कार्यक्रम के दौरान पूर्व जिलाधिकारी प्रियंका निरंजन की तगड़ी फटकार का सामना करना पड़ा था जब उन्होंने बिना डीएम की अनुमति के कार्यक्रम में महिला कलाकारों से नृत्य कार्यक्रम शुरू करा दिया था। डांट के बावजूद नहीं सुधार कई बार उच्चधिकारियों की डांट फटकार का सामना करने के बाद भी उनकी कार्यप्रणाली में कोई सुधार नहीं हुआ। इसका नतीजा गिरथान गांव में मिली अव्यवस्थाओं के कारण मंत्री के कोप भोजन का शिकार कर्मचारियों को निलंबन के रूप में भुगतना पड़ा। पहली बार हुई बड़ी कार्रवाई से विभाग में हड़कंप मचा है और डीपीआरओ को भी सख्त चेतावनी दी गई है लेकिन सुधार होता नहीं दिख रहा।