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Pandit Birju Maharaj: ताल की थापों और घुंघुरूओं की रूंझन को महारास में बदल देते थे बिरजू महाराज

locationलखनऊPublished: Jan 17, 2022 04:11:49 pm

Submitted by:

Ritesh Singh

(Kathak Dancer Birju Maharaj) 2016 में हिन्दी फि़ल्म बाजीराव मस्तानी में मोहे रंग दो लाल गाने पर नृत्य-निर्देशन के लिये फि़ल्मफ़ेयर पुरस्कार मिला। 2002 में लता मंगेश्कर पुरस्कार भी मिल चुका है।

जब पंडित बिरजू महाराज ने माधुरी दीक्षित, दीपिका पादुकोण को सिखाया कथक

जब पंडित बिरजू महाराज ने माधुरी दीक्षित, दीपिका पादुकोण को सिखाया कथक

लखनऊ. भारतीय नृत्य की ‘कथक’ शैली के आचार्य और लखनऊ के ‘कालका-बिंदादीन’ घराने के एक मुख्य प्रतिनिधि बिरजू महाराज नहीं रहे। ताल और घुंघुरूओं के तालमेल के साथ कथक नृत्य पेश करते हुए ताल की थापों और घुंघुरूओं की रूंझन को महारास के माधुर्य में तब्दील करने के लिए बिरजू महाराज को हमेशा याद किया जाएगा।(Kathak Samrat Pandit Birju Maharaj) भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘पद्म विभूषण’ और ‘कालीदास सम्मान’ समेत अनेक पुरस्कारों से सम्मानित बिरजू महाराज बीएचयू और खैरागढ़ विश्वविद्यालय’ से ‘डॉक्टरेट’ की मानद उपाधिधारक थे।
बिरजू महाराज का जन्म 4 फरवरी, 1938 को लखनऊ, के अमीनाबाद में ‘कालका बिन्दादीन घराने’ में हुआ था। पहले उनका नाम ‘दुखहरण’ था, बाद में यह ‘बृजमोहन नाथ मिश्रा’ हुए फिर इन्हें बिरजू महाराज के नाम से जाना गया। इनके पिता जगन्नाथ महाराज भी ‘लखनऊ खराने’ के ख्यात कलाकार थे। इन्हें अच्छन महाराज के नाम से जाना जाता था। अच्छन महाराज ने महज तीन साल की उम्र में ही बिरजू को कला की दीक्षा देनी शुरू कर दी थी।। पिता के निधन के बाद बिरजू के चाचा शंभू और लच्छू महाराज ने उन्हें प्रशिक्षित किया।
कई तरह की नृत्यावलियों की रचना की (Kathak Samrat Pandit Birju Maharaj)

बिरजू महाराज ने विभिन्न प्रकार की नृत्यावालियों जैसे गोवर्धन लीला, माखन चोरी, मालती-माधव, कुमार संभव व फाग बहार इत्यादि की रचना की। शतरंज के खिलाड़ी फिल्म में इनकी दो नृत्य नाटिकाएं उत्कृष्ट कला की उदाहरण हैं। इन्हें ताल वाद्यों की विशिष्ट अंतप्रेरणा भरी समझ थी, जैसे तबला, पखावज, ढोलक, नाल और तार वाले वाद्य वायलिन, स्वर मंडल व सितार इत्यादि के सुरों का भी इन्हें गहरा ज्ञान था।
दिल्ली में बीता समय (Kathak Samrat Pandit Birju Maharaj)

बिरजू महाराज का अधिकतर समय दिल्ली में बीता। भारतीय कला केंद्र के कत्थक केन्द्र जो कि संगीत नाटक अकादमी की एक इकाई है इसमें इन्होंने सेवाएं दी। इस केंद्र के यह निदेशक भी रहे। 1998 में अवकाश ग्रहण करने के बाद भी पंडित बिरजू महाराज संगीत भारती, भारतीय कला केंद्र और दिल्ली के कत्थक केंद्र में अपनी सेवाएं देते रहे। उन्होंने दिल्ली में कलाश्रम नाम से एक नाट्य विद्यालय खोला.इनके दो जयकिशन और दीपक महाराज भी इन्हीं के पदचिह्नों पर चल रहे हैं। बिरजू महाराज को कालिदास सम्मान, सोवियत लैंड नेहरू अवार्ड, एसएनए अवार्ड व संगम कला अवार्ड के अलावा नेहरू फैलोशिप मिल चुकी थी। 2016 में हिन्दी फि़ल्म बाजीराव मस्तानी में मोहे रंग दो लाल गाने पर नृत्य-निर्देशन के लिये फि़ल्मफ़ेयर पुरस्कार मिला। 2002 में लता मंगेश्कर पुरस्कार भी मिल चुका है।
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(Kathak Samrat Pandit Birju Maharaj) राज्यपाल, मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ने जताया दु:ख

कथक नृत्य के लिए मशहूर बिरजू महराज उर्फ पंडित ब्रजमोहन मिश्र का के निधन यूपी की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने शोक व्यक्त किया है। राज्यपाल ने कहा, पंडित बिरजू महाराज ने अपनी कला और प्रतिभा के बल पर से पूरे विश्व मे देश और प्रदेश का गौरव बढ़ाया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा पंडित बिरजू महाराज का निधन अत्यंत दुखद है। उनका जाना कला जगत की अपूरणीय क्षति है। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी पद्म विभूषण, कथक सम्राट, पंडित बिरजू महाराज के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।
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