चौपटिया के पंडितों की मानें तो राजधानी के मंदिरों में सावन महीने में होने वाले रुद्राभिषेक इस वर्ष कोरोना महामारी के चलते नहीं हो पाएंगे। शास्त्रों में वर्णित विविध कामनाओं की पूर्ति के लिए सावन महीने में रुद्राभिषेक का विशेष महत्व बताया गया है। चार घंटे की पूजा में परिवार के साथ रिश्तेदार भी भाग लेते रहे हैं। पर इस बार जहां से बुकिंग आ रही हैं वहां परिवार के सदस्यों को ही पूजा में रहने के लिए कहा गया है। रिश्तेदारों को पूजा में नहीं शामिल करने के लिये कहा जा रहा है। उनको 50 लोग ही अभी पूजा के लिए कह चुके हैं। मास्क लगाकर सभी पूजा करेंगे।
पंडितों के पास पिछले सालों के मुकाबले कम हो गई पूजा कराने की बुकिंग पंडित गोविन्द शर्मा ने बताया कि पहले मंदिरों में रोजाना चार से पांच रुद्राभिषेक हुआ करते थे लेकिन इस बार घरों पर ही लोग रुद्राभिषेक करा रहे हैं। ऐसे लोगों की संख्या भी घटी है जो घरों पर पूजा कराना चाहते हैं। हमारी तरफ से कम लोग, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन और मास्क के प्रयोग पर बल दिया जा रहा है।
6 जुलाई से शुरू हो रहा सावन
सावन का महीना 6 जुलाई को सोमवार यानी भोले शंकर के दिन से शुरू हो रहा है। इसके अलावा सावन के महीने की समाप्ति भी सोमवार के दिन से ही हो रही है। गुरु पूर्णिमा के साथ ही सावन शुरू हो जाएंगे। हिन्दू पंचांग के अनुसार पांचवां महीना श्रावण का होता है। सावन के महीने में भगवान शिव और विष्णु की अराधना बहुत फलदाई मानी जाती है। पूरे श्रावण मास में 06, 13, 20,27 जुलाई और 03 अगस्त को है। ऐसा माना जाता है कि सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा करने से जीवन से सभी तरह की परेशानियों से छुटकारा मिलता है। इस महीने लोग अपनी पसंद की चीज का एक महीने के लिए त्याग करते हैं। सावन के महीने के आखिर में रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जाता है।