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नियम विरुद्ध आदेश को लेकर मंत्री और राजमंत्री आमने सामने

locationलखनऊPublished: Apr 17, 2018 06:25:50 pm

Submitted by:

Anil Ankur

पशुधन विकास विभाग में निजी संस्था से काम कराने पर विवाद

pashudhan vibhag government order for a company

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मंत्री बोले मुझे पुराने आदेश का पता ही नहीं है_____________________

अनिल के. अंकुर

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार के केबिनेट मंत्री और राज्यमंत्री एक आदेश को लेकर आमने सामने हो गए हैं। राज्यमंत्री ने इस आदेश का भरपूर विरोध किया है और कहा है कि इस विभाग में जो हो रहा है उसके लिए वे जिम्मेदार नहीं हैं। यह विभाग है पशु धन विकास विभाग और मंत्री हैं एसपी सिंह बघेल और राज्य मंत्री जय प्रकाश निषाद। दोनो के बीच पिछले हफ्ते जारी किए गए एक आदेश को लेकर विवाद हो गया है। जारी आदेश में एक संस्था को नियमविरुद्ध 2000 कर्मचारियों की भर्ती का अधिकार दिया गया था।
पिछले हफ्ते क्या जारी हुआ है आदेश

विभाग के प्रमुख पशुधन विकास सुधीर एम बोबड़े ने पिछले हफ्ते सर्विस प्रोवाइडर के जरिए 2000 कर्मचारियों के रखने का आदेश जारी किया। सर्विस प्रोवाईडर के जरिए काम कराने की जिम्मेदारी यूपीको नाम की संस्था को दी गई। इस आदेश को इतना गुप्त रखा गया है कि इसे अब तक विभाग की वेबसाइट में लोड तक नहीं किया गया है। शासन के अलावा यह आदेश पशु निदेशालय के अनुभाग दो में रखा हुआ है। इसे आम नहीं किया जा रहा है।
आउट सोर्सिंग संस्था के लिए क्या है नियम
निजी संस्थाओं से काम कराने के लिए सचिवालय प्र्रशासन पहले आदेश जारी करके यह साफ कर चुका है कि अगर कोई संस्था नामित की जानी है तो लघु उद्योग निगम के जरिए ही काम होगा, इसके अलावा किसी अन्य कम्पनी से सीधे काम नहीं कराया जा सकता है। इस सम्बन्ध में सचिवालय प्रशासन ने 27 अक्तूबर 2014 जारी आदेश में कहा था कि सरकारी और अद्र्ध सरकारी संस्थाओं में सीधे काम का आवंटन केवल लघु उद्योग निगम को दिया गया है। इसमें साफ किया गया था कि लघु उद्योग निगम द्वारा आउट सोर्सिंग के माध्यम से इंगेज किए गए कार्मिकों का वेतन आदि समय से वितरण की व्यवस्था भी सुनिश्चित करानाी होगी। इसके बाद 6 अक्तूबर 2016 को मैनपावर आउट सोर्सिंग के लिए चिह्नित एजेंसी को 10 प्रतिशत राशि उपलब्ध कराने के आदेश दिए गए थे।
आउट सोर्सिंग में कैसे होती हैं भर्तियां
इन दिनों यूपी में सरकारी विभागों में आउट सोर्सिंग पर काम कराने का लाभ कई एजेंसियों को जम कर मिल रहा है। नियम तो यह है कि जिस निजी संस्था से आउट सोर्सिंग कराई जाएगी वह संस्था हर कर्मचारी के रखे जाने पर उसके वेतन का 10 प्रतिशत अंश लेगी। पर शायद ऐसा कुछ एजेंसियां ही करती हों। कुछ एजेंसियां ऐसी हैं जो कर्मचारियों की भर्ती के नाम पर लम्बी रकम लेती हैं। यानी कि कर्मचारियों को मिलने वाली छह महीने का वेतन उनसे पहले ही ले लिया जाता है। इस प्रकार की शिकायतों के सैकड़ों मुकदमें विभिन्न एजेंसियों के खिलाफ दर्ज हैं। कई मुकदमे कोर्ट में भी लम्बित हैं। नौकरी दिलाने के नाम पर छह महीने का वेतन लेने के बाद ऐसी एजेंसियां 10 प्रतिशत राशि भी हर महीने लेती हैं। कई बार कर्मचारियों ने इसका विरोध किया तो उन्हें बीच से निकाल दिया गया। गोंडा, बरेली, बहराइच, कानपुर देहात, झांसी वाराणसी में इस प्रकार दर्जनों मामले अभी भी लम्बित हैं।
क्यों किया मंत्री ने विरोध
पशुधन विकास राज्य मंत्री निषाद ने आखिर इसका विरोध क्यों किया। कहा जाता है कि उन्हें पहले के शासनादेशों की जानकारी थी और उन्होंने कहा था कि जब सरकार ने एक सरकारी संस्था को इसके लिए नामित किया है तो ऐसी संस्था को काम क्यों आवंटित किया जा रहा है जो पैनल में कहीं नहीं हैं। इस मामले को लेकर उन्होंने मंत्री और मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखा है।
पशुपालन निदेशक चरण सिंह यादव – यह आदेश शासन ने किया है। उन्हें जो आदेश मिलेगा, वह उसी के आधार पर काम करेंगे।

पशुधान विकास मंत्री एसपी सिंह बघेल- शासन द्वारा पहले जारी किए गए आदेशों की जानकारी नहीं है। अगर गलत हुआ होगा तो उसे सुधार लिया जाएगा।
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