राज्य सरकार और पंतजलि के बीच खटास खत्म होती दिख रही
बता दें कि पतंजलि फूड पार्क के मामले में सीएम योगी के निर्देश पर एक बैठक बुलाई गई थी। उस बैठक में पतंजलि के प्रवक्ता एसके तिजरावाला ने कहा था कि हम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरफ से दी गई सुनिश्चितता पर भरोसा करते हैं। इसके बाद सीएम ने खुद पतंजलि के मैनेजिंग डायरेक्टर आचार्य बालकृष्ण और बाबा रामदेव से बात करके सहयोग देने के लिए कहा था। इसके साथ ही एक बात और सामने आई है कि अतिरिक्त समय मिलने पर यूपी मंत्रिमंडल और यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डिवेलपमेंट अथॉरिटी जैसी संस्थाओं को प्रोजेक्ट क्लीयर करने में आसानी होगी। पतंजलि के आचार्य बालकृष्ण ने ईटी से कहा था कि अब यह केंद्र पर निर्भर करता है कि ‘वह किसानों की जिंदगी बदलने की क्षमता वाले प्रोजेक्ट को लेकर कितना गंभीर है। इस पर सीएम योगी के आश्वासन के बाद अब राज्य सरकार और पंतजलि के बीच खटास खत्म होती दिख रही है।
इंटर-मिनिस्ट्रियल मीटिंग के बाद यह नतीजा सामने आया
योगी सरकार के अधिकारियों ने बताया कि इस मामले को लेकर केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय से बात करने के साथ समय सीमा बढ़ाने के लिए अप्रूवल की जानकारी भी मौखिक रूप से दे दी गई है। इंफ्रास्ट्रक्चर एंड इंडस्ट्रियल डिवेलपमेंट डिपार्टमेंट ने गुरुवार को भेजे एक पत्र में लिखा कि खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय द्वारा पतंजलि को 15 जून तक का समय तय किया गया था। पत्र में सब-लीज देने की डेडलाइन को 30 जून तक बढ़ाने की अनुमति का अनुरोध किया गया है। इंटर-मिनिस्ट्रियल मीटिंग के बाद यह नतीजा सामने आया है कि केंद्र सरकार के एक्सटेंशन से पतंजलि को मंजूरी हासिल करने में काफी मदद मिल सकती है।
पतंजलि ने कंपनी अलग नाम से शुरू की
पतंजलि ने यूपी में यमुना एक्सप्रेसवे के किनारे 6,000 करोड़ रुपए के निवेश से फूडपार्क बनाने की योजना तैयार की थी। इससे पहले कहा गया था कि अगर उत्तर प्रदेश सरकार सपोर्ट नहीं करती है तो वह प्रोजेक्ट बंद कर सकती है। इस पर उत्तर प्रदेश सरकार का कहना है कि सैद्धांतिक प्रस्ताव के मुताबिक कंपनी को लैंड टाइटल ट्रांसफर में देरी इसलिए हुई थी क्योंकि पतंजलि ने कंपनी अलग नाम से शुरू की है जिसकी स्क्रूटनी होने के साथ फिर से फॉर्म भरे जाने हैं।