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अब दर्द से कराहने की जरूरत नहीं, चुटकीयों में मिलेगा आराम

locationलखनऊPublished: May 08, 2019 01:54:07 pm

Submitted by:

Karishma Lalwani

– केजीएमयू में पेन क्लीनिक शुरू- सिर्फ 1500 आएगा खर्च- बिना ऑपरेशन मिलेगा आराम

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अब दर्द से कराहने की जरूरत नहीं, चुटकीयों में मिलेगा आराम

लखनऊ. कैंसर, जोड़, गाल ब्लाडर, पैंनक्रियाज कैंसर और कमर के दर्द से कराह रहे मरीजों के लिए अच्छी खबर है। दर्द से निजात पाने के लिए ऐसे मरीजों को अब बिना ऑपरेशन और बिना दवा के ही राहत मिलेगी। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी की एनेस्थिसिया विभाग की पेन यूनिट ने इस मामले मे ठोस कदम उठाया है। यहां हर शुक्रवार को रेडियो फ्रीक्वेंसी एब्लेजर तकनीक के जरिये क्रानिक पेन से ग्रसित मरीजों का इलाज किया जाएगा।
मुफ्त होगा इलाज

केजीएमयू एनेस्थीसियोलाजी विभाग की प्रोफेसर सरिता सिंह के मुताबिक इस प्रक्रिया में ओपीडी में पेन क्लीनिक से आने वाले मरीजों का एक्सरे और अलट्रासाउंड किया जाएगा। इसके बाद अगली बार के लिए मरीज को अस्पताल आने की तिथि दी जाएगी। क्रानिक पेन के इलाज में मरीज को किसी तरह का टांका नहीं लगेगा, न ही इसमें ऑपरेशन होगा। इस बीमारी के इलाज के लिए सिर्फ 1500 रुपये की नीडल खरीदनी होगी। बाकी इलाज मुफ्त होगा। हर शुक्रवार को मरीज का इस नई तकनीक से इलाज किया जाएगा। डॉक्टर सरिता ने बताया कि इससे मरीज को इलाज के 8 माह तक दर्द का एहसास नहीं होगा।
डॉक्टर ने बताया कि मरीजों की जांच परीक्षण के बाद रेडियो फ्रीक्वेंसी एब्लेजर तकनीक से इलाज किया जाएगा। एक्सरे और अल्ट्रासाउंड कर दर्द के लिए नस की पहचान की जाएगी। इसके बाद दर्द वाले हिस्से में सुई लगाई जाएगी। निडिल से उस नस तक रेडियो फ्रीक्वेंसी दी जाएगी। इस प्रक्रिया में करीब दो डेढ़ का समय लगेगा जिसके सफल प्रयास के बाद मरीज को घर भेज दिया जाएगा।
जानें क्या है रेडियो फ्रीक्वेंसी एब्लेजर तकनीक

रेडियो फ्रीक्वेंसी मशीन अल्ट्रासाउंड जैसी होती है। इसके जरिये दर्द वाली जगह पर नस की पहचान की जाती है। दर्द से आराम के लिए उस जगह पर सुई लगाई जाती है। यह एक से डेढ़ घंटे की प्रक्रिया होती है। इस प्रक्रिया में पेंशट को पेशंस की बहुत जरूरत पड़ती है। शुरू में इलाज का असर नहीं दिखता। एक बार सूजन भी आती है लेकिन तीन दिन बाद सूजन कम होने लगती है। इलाज के 15 दिन बाद मरीज को आराम मिलना शुरू होता है। इस इलाज की प्रक्रिया पूरी होने के 8 माह तक मरीज को आराम रहता है।
केजीएमयू में दूसरा लिवर ट्रांसप्लांट

केजीएमयू में 9 मई को दूसरा लिवर ट्रांसप्लांट किया जाएगा। पहला लिवर प्रत्यारोपण 14 मार्च को हुआ था। अब नए मरीज का लिवर ट्रांसप्लांट करने की तैयारी है। मरीज का डोनर उसका नजदीकी रिश्तेदार होगा। मंगलवार को लिवर प्रत्यारोपण की तैयारियों को अंतिम रूप दिया गया। निजी अस्पताल से आने वाली टीम इलाज की निगरानी करेगी लेकिन प्रत्यारोपण का मुख्य काम केजीएमयू के चिकित्सक करेंगे।

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