स्वयंवर स्थली के नाम से पहचान…
सहायक वन संरक्षक सूरतसिंह पूनिया बताते हैं कि उक्त कॉलोनी को स्वयंवर स्थली के नाम से भी जाना जाता है। कॉलोनी में मादा हरिण के आते ही नर हरिण आपस में लडऩे लगते हैं। लड़ाई इतनी जबरदस्त होती है कि कुछ तो घायल होकर भाग जाते हैं और कुछ देखकर भाग जाते हैं। मादा हरिण के पास केवल ताकतवर हरिण ही रहता है। मादा हरिण के जाने के बाद काले हरिण दुबारा कॉलोनी में आ जाते हैं।
दुश्मनों पर भी रखते हैं नजर
कॉलोनी में बैठे सैकड़ों की संख्या में हरिणों की निगरानी करने के लिए कुछ हरिण अलग-अलग दिशा में मुंह कर बैठे रहते हैं। जो जंगली जानवरों आदि पर नजर रखते हैं।