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Patrika KeyNote 2018: रिटायर्ड जनरल वीपी मलिक ने कहा- तीन देशों के बीच बंटा है कश्मीर

locationलखनऊPublished: Apr 07, 2018 02:25:04 pm

Submitted by:

Abhishek Gupta

जनरल वीपी मलिक ने की नोट 2018 के दूसरे सत्र के दौरान कश्मीर समस्या के निपटारे पर जैसे ज्वलंत मुद्दों पर अपने विचार रखे।

VP Malik

VP Malik

लखनऊ. पूर्व थलसेना अध्यक्ष और भाारतीय सेन्य मामलों के जानकार सेवानिवृत जनरल वीपी मलिक ने की नोट 2018 के दूसरे सत्र के दौरान कश्मीर समस्या के निपटारे पर जैसे ज्वलंत मुद्दों पर अपने विचार रखे। कश्मीर की समस्याओं में आये उबाल पर भारत ने कई बार पाकिस्तान पर दबाव बनाया। पाकिस्तान पर हुई भारतीय सेना की सर्जिकल स्टाइक का जनरल वीपी मलिक ने सर्वप्रथम समर्थन किया था। मलिक ने कश्मीर में हुई उथल पुथल पर गंभीर विचार रखे। उन्होंने अपने विचार रखने से पहले राजस्थान पत्रिका का अभार व्यक्त किया कि उन्हें जम्मू काश्मीर जैसे मुद्दे पर विचार रखने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने कहा कि आजकल जम्मू कश्मीर से ज्यादा खबरे आती है।
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तीन देशों के बीच बंटा है कश्मीर-
उन्होंने कहा कि जम्मू काश्मीर आज तीन देशों के बीच बंटा है। भारत, चीन और पाकिस्तान। जिसमें अधिकतर चीन पर पाकिस्तान का कब्जा है। यह हिस्सा चीन का हिस्सा नहीं है। ज्यादा हिस्सा पाकिस्तान का है। पाकिस्तान समझता है कि कश्मीर में जो समस्या है वह धर्म की वजह से है। वहां की अधिकांश संख्या मुसलमान भाइयों की है। पाकिस्तान इस पर अपना कब्जा चाहता है। जबकि भारत कानूनी तौर पर और ऊपरी तौर पर जम्मू और कश्मीर को अपना हिस्सा मानता है। भारत सभी धर्मों में विश्वास करता है। कश्मीर के कुछ लोग धर्म के कारण खुद पाकिस्तान के साथ जाना चाहते हैं। कश्मीर में एक तबका ऐसा है जिसको खुद पता नहीं है कि उन्हें किधर जाना है। उन्होंने कहा कि आजकल की अशांति में दो कारण है। पहला पाकिस्तान और दूसरी अंदरूनी। दोनों समस्याएं मिली हुई है। जनरल वीपी मलिक ने कहा कि मैं समझता हूं कि पाकिस्तान को कंर्टोल किया जा सकता है। लेकिन सर्वाधिक चिंता अंदरूनी मामलों की है। जिन्हें काबू नहीं कर पा रहे हैं। आजकल की अशांति 1980 के दशक में शुरू हुई। जब जियाउलहक का राज था पाकिस्तान के अंदर। अफगानिस्तान के अंदर की नीति कश्मीर में शुरू की। उस दौर कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा दिया गया।
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सर्वाधिक खराब दौर रहा 1990 का :-
1990 का सबसे खराब दौर था। जब गृहमंत्री मुफती मोहम्मद सईद की बेटी को अगावा किया गया और उनको छ़ुडवाने के लिए पांच बड़े आतंकवादियों को छोड दिया गया। जब उनको छोडा गया तो उनके लिए कश्मीरियों ने जुलूस निकाला। उस दौरान लगा कि वहां पर हमारी सरकार का कोई कंट्रोल नहीं है। फारुक अब्दुल्ला की सरकार थी उस दौरान कश्मीर में। कश्मीरी हिंदुओं को मारना शुरू कर दिया गया। बड़े-बड़े नेताओं पर हमले होने लगे। हमें लगने लगा कि वहां पर हमारी सरकार काम नहीं कर रही है। फारूक अब्दुल्ला के इस्तीफ के बाद वहां पर गर्वनर शासन लगा दिया गया। उस दौर कश्मीर से दो लाख पंडितों को भगा दिया गया। जब वे बाहर जा रहे थे तो उनको किसी ने रोका नहीं। उन्होंने कहा कि उस समय मैं नार्थ ईस्ट में मेजर जनरल था, मुझे कश्मीर भेजा गया। मैंने वहां जाकर हालत देखे। उस हालात को काबू करने में मुझे सात साल लगे। उसके बाद चुनाव हुए तो फारूक अब्दुल्ला चुने गए। इसके बाद जाकर हालात सुधरे।
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पाकिस्तान ठीक नहीं होने देता हालात :-
जब भी हालात ठीक होते हैँ तो पाक को ठीक नहीं लगता। 1999 में कारगिल वार शुरू हो गई। आतंकवाद को बढ़ावे देने के लिए ऐसा किया गया। द्रास में उन्हें मार खानी पड़ी। अगले दो साल तक कश्मीर पर फोकस रहा पाक का। 2001 में सबसे ज्यादा आतंकवाद रहा। 4000 से ज्यादा बेकसूर मारे गए। हालात काबू करने के लिए राजनीति ने मोड़ लिया और प्रधानमंत्री की परवेज मुशर्रफ के साथ बातचीत शुरू हुई। 2003 में सीज फायर के लिए राजी हो गया। जनवरी 2004 में परवेज ने समझौते में बोला कि पाकिस्तान आगे से आतंकवाद को बढ़ावा नहीं देगा। ऐसा नहीं हुआ और आतंकवाद चलता रहा। उन्होंने घुसपैठ नहीं छेाड़ी।
गोलीबारी कभी खत्म नहीं हुई हां कम या ज्यादा जरूर हुई :-
यह पाकिस्तान की नीति रही है। वह आतंकवाद फैलाने में लगा रहा। आतंकवाद कभी बढ़ जाता कभी घुसपैठ बढ़ जाती। वहां के राजनीतिज्ञ हमारी सरकार के ऊपर दबाव डालेन की कोशिश करते हैं। जनरल ने कहा कि आजकल के हालात भी ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि इस समय वहां पर उनका बेटा तैनात है। उन्होंने कहा कि मेरे विचार राजनेताओं से नहीं मिलते होंगे। उन्होंने कहा कि हमें वहां के जमीनी हालत समझने होंगे। वहां के राजनैतिक हालात खराब है। इस वजह से मौलवियों या अलगाववादी को बढवा मिलता रहा है। वहीं वहां की इकॉनामी चला रहे हैं। सरकार कुछ नहीं कर पा रही।
गठबंधन अच्छा काम नहीं कर पा रहा :-
पीडीपी और भाजपा का गठबंधन नहीं चल पा रहा है। सोचा था कि दोनों अच्छा काम करेंगे. लेकिन अब कहता हूं कि गठबंधन नहीं चलेगा। पीडीपी अलगाववादियों को कुछ नहीं कहते। वह उनका वो वोट बैंक हैं। भाजपा जम्मू में सक्रिय है। दोनों वहां के हालात के बारे में बात नहीं कर रहे। पिछले तीन साल से यही चलता रहा है। इस वजह से हम आतंकवाद को खत्म नहीं कर पा रहे हैं। आतंकवाद को काबू करना है तो बड़े विचााराधारियों को खत्म करना होगा। उन्होंने कहा कि श्रीलंका में प्रभाकरन मरा तो एलटीटीई खत्म हो गई। उन्हें मारना ही जरूरी नहीं है। रोकना और अलग करना जरूरी है। पर हम कोशिश नहीं कर रहे है। सरकार अपना काम नहीं कर रही है। कुछ दिन पहले हमारे मंत्री ने बोला, सेपरिस्ट लीडर पाकिस्तन से मदद ले रहे हैं। लेकिन यह नहीं कहा कि हम उन पर कितने लाखों रुपये खर्च कर रहे हैं। टीवी चैनल पर दिन रात सुनना पड़ता है, ये लोग क्या कर रहे हैं। डीएसपी अयूब को मारा गया। मस्जिद के बाहर डीएसपी अय्यूब को मार दिया। डीजीपी ने बोला, इसमें मौलवी फारूक का हाथ था। लेकिन उस पर कोई कार्रवई नहीं हुई। हम लोगों ने अलगावादियों को काबू में कराने की कोशिश नहीं की। बुरहान वानी ने जब हथियार उठा लिया और निर्दोषों को मारकर वहां के युवाओं का हीरो बनाने की कोशिश करता रहा जो गलत था।
धार्मिक कट्टरवाद बढ़ा है :-
उन्होंने 1990 का एक वाकया बताते हुए कहा कि एक गांव में लोगों से बातचीत कर रहा था। गांव के बीच में एक मंदिर था। उनसे पूछा तो उन्होंने कहा कि वे रोजाना इसकी सफाई करते हैं। हिंदू भाई ये हमारे लिए छोड़ गए हैं। जिसकी देखभाल करना हमारा फर्ज है। 1990 में डोडा में एक शिव मंदिर की सुरक्षा मुस्लिम और हिंदू कर रहे थे। कुछ दिन पहले दो आतंकियों के निकालने की कोशिश की तो दोनों के माता-पिता से बात की गई तो उन्होंने उनसे हथियार छो़ड़ने के लिए मंदिर के भीतर भेजा। मां अंदर गई लेकिन आतंकवादी ने मना कर दिया। मैं नहीं छोड़ सकता हथियार, लेकिन बाद में गोली चली और वह मारा गया। जबकि दूसरे ने सरेंडर कर दिया। यह कट्टरवाद पहले कश्मीर में नही था जो अब है। उस समय कोई मौलवी नहीं बोला कि यह गलत है। साउथ कश्मीर में जब सूचना मिलती है कि आतंकियों को पकड़ने की तो वहां पर सैनिकों को दो मुकाबले करने पड़ते हैं, एक तो जो बंदूक लेकर छुपे हुए हैं। दूसरा पत्थरबाजों से। वहां की पुलिस के साथ सरकार कुछ नहीं कर रही। गोली चलाने से डरती है पुलिस। सलमान खान की खबर के बाद हम भूल जाते हैं कि असल में वहां पर हालात क्या हैं। हम लोग वहां पर सुरक्षा बलों के ऊपर अधिक निर्भर हैं। हमें आतंकी के खिलाफ कठोर रहना होगा और जो निर्दोष हैं उनके प्रति नरम रहना होगा। लेकिन सरकार में ऐसा नजर नहीं आ रहा है। आजकल की सरकार को लकवा मार गया है वहां।