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लखनऊ

Patrika KeyNote 2018- सपा, कांग्रेस संग भाजपा सहयोगी दल ने भी घेरा केंद्र व प्रदेश सरकार को

विचारों के महामंथन पत्रिका की-नोट 2018 में मोदीफाइड इंडिया पर पक्ष और विपक्ष के बीच जोरदार चर्चा हुई।

लखनऊApr 07, 2018 / 05:20 pm

Abhishek Gupta

JDU leader

JDU leader

लखनऊ। विचारों के महामंथन पत्रिका की-नोट 2018 में मोदीफाइड इंडिया पर पक्ष और विपक्ष के बीच जोरदार चर्चा हुई। इस दौरान बीजेपी के सहयोगी दल जदयू के पवन कुमार वर्मा भी कुछ मुद्दों पर सरकार से संतुष्ट नहीं दिखे। वहीं कांग्रेस की प्रियंका चतुर्वेदी व सपा के प्रवक्ता घनश्याम ने सरकार की नीति और नियत पर सवाल उठाया। सरकार को सभी मुद्दों पर फेल करार दिया।
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रोजगार का वायदा पूरा हुआ कि नहीं-

जदयू नेता पवन कुमार वर्मा ने कहा कि सरकार के सहयोगी दल के रुप में कहता हूं कि तीन-चार विषय ऐसे हैं जिसमें दलगत राजनीति से उपर उठ कर केन्द्र में आज की सरकार को सोचना होगा। आर्थिक स्तर पर कुछ वायदे ऐसे थे जिसके बल पर लोगों ने आपार समर्थन दिया। खास तौर पर युवाओं ने। जो रोजगार का वायदा किया गया था वह पूरा हुआ की नहीं। नहीं हुआ तो क्यों नहींं पूरा हुआ। किसान की हालत सुधरी की नहीं। अधिकतम मूल्य देने का वायदा हुआ था जिसका क्रियान्वयन हुआ या नहीं, किसानों की हालत में कितना सुधार हुआ। सरकार ने कूटनीतिज्ञ के क्षेत्र में जिस तरह का आश्वासन दिया था, पाकिस्तान चीन के साथ संबंध, उसका क्या हुआ। क्या नयी नीति बन पायी है या वह सिर्फ जुमला था।
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पीएम ऐसी चीजों को रोकने के लिए कुछ कर सकते थे कि नहीं?
उन्होंने आगे कहा कि लोग जानना चाहते हें कि पाकिस्तान के साथ नीति क्या है। मैं सहयोगी दल के रुप में भी इसे ढूंढ रहा हूं। कोई भी देश अमन, भाईचारा के बिना नहीं चलता। कुछ आवाज सुनने में आती है जो हिंसा व घृणा से समाज को बांटती है, क्या केन्द्र सरकार व पीएम ऐसी चीजों को रोकने के लिए कुछ कर सकती थी कि नहीं। परिवक्त लोकतंत्र में इन चीजों का मूल्यांकन हो। 2019 का चुनाव आ गया है। क्या हम फिर उसी घिसी पिटी चीजों पर वोट मांगेगे। हम धर्म के नाम पर वोट मांगेगे या कुछ नई चीजें सामने आएगी। हम कुछ नया विजन लेकर जनता के बीच जाएंगे।
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बेरोजगार व किसानों की हालत किसी दल का नहीं देश का मुद्दाः पवन
पवन कुमार वर्मा ने कहा कि शास्त्रार्थ हमारी पहचान है, जिनसे लोग सहमत नहीं थे। उनके साथ भी सभ्य तरीके से शास्त्रार्थ होता था। यह विमर्श की जगह है। रोजगार विषय से युवाओं की उम्मीद जुड़ी है। आज जो किसानों का हाल है यह किसी राजनीतिक दल का नहीं देश का मुद्दा है। किसान आज भी आत्महत्या कर रहे हैं। किसानों को राहत मिलने की उम्मीद नहीं दिख रही है। यह देश विविधताओं का है, अगर कोई तुष्टिकरण का आरोप लगाता है तो राजनीतिक दलों अल्पसंख्यक को वोट बैंक के लिए इस्तेमाल करने के लिए कोशिश करते हैं। यह आगे भी होती रहेगी। मैं इसकी निंदा करता हूं। कोई नेता कहे कि सारे मुस्लिम पाकिस्तान या बाग्लादेश चले जाये, ऐसा बयान गलत है। दो कौमों को लड़ाया जाये, यह भी वोट बैंक की पालिटिक्स है। मर्यादा पुरुषोत्तम राम के लिए सबकी आस्था है। लक्ष्मी जी को पुरुषोत्तम राम के सामने खड़ा नहीं कर सकते हैं। जिसका धंधा बंद है रोजगार छीन गया है, उनके बारे में सोचने की जरूरत है। ऐसे में आप सोचे कि यह लोग दूसरे से धर्म के नाम पर लड़ जाये, यह संभव नहीं है। आज दलित समाज में ऐसी सोच है कि जैसा सम्मान मिलना चाहिए वह नहीं मिला है। इस पर केन्द्र व विपक्ष को मिलकर चिंतन करना चाहिए। ऊना में तीन दलितों पर सार्वजनिक रूप से अत्याचार किया गया। अम्बेडककर जी की प्रतिमाओं को आहत किया जा रहा है। रोहित वेमूला प्रकरण सब जानते हैं। एससी व एसटी के मामाले में तुरंत रिव्यू याचिका नहीं दायर की गयी। कभी कभी बड़ी पार्टी को पूर्ण बहुमत मिलता है तो तौर तरीके बदल जाते हैं। राय मशावरा बदल जाता है। जेएडयू ने अभी एनडीए ज्वाइन किया हैं। आप एनडीए में पहले से शामिल दलों से बैठक का हाल पूछ ले। नागरिक मुद्दों को हल्के में न ले। आम आदमी तिनका जोड़ कर सरकार बनाता है तो हटा भी सकता है।
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चार साल में जमीन पर नहीं दिखा अच्छे दिन का वादा : घनश्याम
सपा प्रवक्ता घनश्याम ने कहा कि देश चार साल में कहा खड़ा है। यूपीए 2 की सरकार में लोगों को गुस्सा था। पीएम मोदी ने सांप्रदायिकवाद के विभिन्न मुद्दों को लेकर राजनीति में आशा व डर का बहुत महत्व बताया है। 2014 में माहौल बनाया गया कि अच्छे दिन आयेंगे। इससे आशा का माहौल बना। चार साल में इस आशा को जमीनी कार्यक्रम में नहीं बदल पाये। इससे पता चलता है कि मंशा सही नहीं थी। देश को गर्त में ढकेला जा रहा है। युवक के नाते लगता है कि एक टीवी रियल्टी स्टार को पीएम बना दिया गया है। जो सिर्फ भाषण देता है। संसद ठप है। पीएम नहीं दिख रहे हैं। संसद उहापोह में बिल पास करती है। आज ऐसे काम किए जा रहे है कि विदेशों से बिना जांच के चंदा ले सके। यह ईस्ट इंडिया कंपनी को बैक डोर से लाने की साजिश है।
उन्होंने कहा कि आशा से जब राजनीति हट जाती है तो डर पर चली जाती है। शरद पवार , राहुल गांधी, ममता बनर्जी , नीतीश कुमार जैसे विपक्ष के धाकड़ नेताओं ने अपने काम से पहचान बनायी है। बीजेपी में सिर्फ एक ही आवाज है नरेन्द्र मोदी , जो सिर्फ टीवी पर दिखायी देती है। यूपीए 2 ने नागरिकों के अधिकारों को मजबूत किया है, लेकिन ये सरकार नागरिकों के अधिकार को कमजोर कर रही है। डेटा का एक उदाहरण है। नोटबंदी ने सभी को कटघरे में खड़ा कर दिया। अच्छी शिक्षा व रोजगार का मुद्दा बड़ा है। अनेकता में एकता हिंद की पहचान है। सारे अधिकार खत्म होने लगते हैं तो डर हथियार बन जाता है।
सदन में विपक्ष की आवाज दबाना चाहती है सरकारः प्रियंका चतुर्वेदी
कांग्रेस प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि सत्ता पक्ष की तरह विपक्ष से भी सवाल होने चाहिए। जवाहर लाल नेहरु सरकार में सभी से राय मशाविहरा करते थे। चाहे वह जिस दल का हो। एक समय में बीजेपी के दो एमपी थे। एक समय इंदिरा गांधी के जब पांच एमपी विपक्ष में थे और वह सवाल पूछते थे तो इंदिरा गांधी थरथरा जाती थी क्योंकि उन्हें सवाल पूछने का अधिकार था। आज हम कहते रहते हैं कि हमें इस मुद्दें पर चर्चा करनी है लेकिन चर्चा नहीं होती है। आज विपक्ष से बात करना तो दूर विपक्ष के मुद्दे पर बात नहीं होती है। सत्ता पक्ष के अनुसर प्रश्र नहीं पूछा तो हम एंटी नेशनल हो जाते हैं।
नये रोजगार तो दूर, मोदी सरकार ने छीन लिया पुराना रोजगारः प्रियंका चतुर्वेदी
कांग्रेस प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि दो करोड़ युवाओं को रजोगार देने की बात कही गयी थी। आज के हालत ऐसे हैं कि नये रोजगार मिलना तो दूर पुराने भी खत्म हो गये। कहा गया नोटबंदी से काला धन आयेगा। इसके चलते कई लोगों का रोजगार छिन गया। उन्होंने कहा कि बहुत हुआ महिला पर वार, अबकी बार मोदी सरकार। सीएम योगी का नाम सीएम लिस्ट में नहीं था, लेकिन इन्हीं मुद्दें पर चुनाव लड़े थे। बीजेपी सरकार में सबसे अधिक महिलाओं पर अत्याचार होते हैं। महाराष्ट्र में बीजेपी सरकार आते ही महिलाओं पर अत्याचार बढ़ गया है। इसका कारण है कि महिलाओं के संबंध में माहौल बनाया जाता है कि महिलाएं क्या पहन कर जायेगी, कब घर आयेगी, कब हॉस्टल पहुंचेगी। देश की जीडीपी में कृषि क्षेत्र का 60 प्रतिशत योगदान है। सबसे पहले संसद में भूमि अधिग्रहण के मुद्दों पर सरकार ने अपनी मंशा दिखा दी थी। किसानों को आंदोलन करना पड़ा है। पहले किसानों की आय बढ़ाने की बात कही। फिर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह संभव नहीं है।
उन्होंने आगे कहा कि जहां पर प्राकृतिक आपदा आयेगी वहां पर फंड देने की बात कही गयी थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब कहते हैं कि पकौड़ा बेचना भी रोजगार है। आज इन मुद्दों पर बात नहीं हो रही है। आज जातिवाद व धर्म के नाम पर चर्चा कर माहौल बिगाड़ा जा रहा है।। इस मामले में हम नया भारत कह सकते हैं। पेपर लीक हो रहा है। छात्रों को आंदोलन करना पड़ रहा है। दलित आंदोलन कर रहे हैं। यूपी में खुद उनके एमपी आंदोलन कर रहे हैं। जिन मुद्दों पर बहस नहीं होनी चाहिए वह केन्द्रीय मुद्दा बनाया गया है जिन मुद्दों पर बहस होनी चाहिए वह गायब हो गया है।
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