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नारी सम्मान पर बोले हितेन तेजवानी, ‘पहले तुम’ अभियान से महिलाओँ को मिले बराबर का हक

locationलखनऊPublished: Mar 07, 2018 06:18:11 pm

Submitted by:

Mahendra Pratap

भारत के प्रतिष्ठित ब्रांडों में से एक, महिला दिवस के अवसर पर लखनऊ में पहले तुम #pehletum अभियान आरंभ किया

hiten tejwani
लखनऊ. भारतीय महिलाओं की एक खास आदत होती है कि चाहे वो कितनी भी व्यस्त क्यों न हों, लेकिन जब बात परिवार की आती ह, तो भारतीय महिलाएं खुद को आखिरी में रखती हैं। फिर बात चाहे खाने की ही क्यों न हो। वह यह सुनिश्चित करना पसंद करती हैं कि वे जब अपनी थाली तक पहुंचें, उसके पहले उनके परिवार का पेट अच्छी तरह भर चुका हो। इस पहलू से सबक लेते हुए भारत के प्रतिष्ठित ब्रांडों में से एक, महिला दिवस के अवसर पर लखनऊ में पहले तुम #pehletum अभियान आरंभ किया। इस खास मौके पर चर्चित अभिनेता हितेन तेजवानी मौजूद रहे। 
इस मुहिम के माध्यम से डालडा भारतीय पुरुषों से आग्रह कर रहा है कि वो भोजन का पहला कौर उन महिलाओं के साथ साझा करें जो परिवार के लिए इतने प्यार से भोजन तैयार करती हैं। इस खास मौके पर तेजवानी ने धीरे-धीरे घरों में नजर आ रहे बदलाव के बारे में बात की। लोकप्रिय रेडियो स्टेषन 92.7 बिग एफएम इस प्रयास में डालडा को अपना सहयोग दे रहा है।
ये अभियान भारतीय घरों और रसोई में बदलते परिदृश्यों की हिमायत के लिए शुरू हुआ है। यह अभियान इस बात पर प्रकाश डालता है कि रसोईघर में महिलाएँ कुछ न कुछ अपने परिवार के लिए अच्छा और हेल्दी बनाने की कोशिश करती हैं। यह अभियान भारत के रसोईघरों से परिवार के सदस्यों के बीच नया रूप लेते जुड़ाव की कहानियों पर फोकस करने का प्रयास करता है।
इस अवसर पर टिप्पणी करते हुए बुंगे इंडिया के मार्केटिंग प्रमुख मिलिंद आचार्य ने कहा, “एक ब्रांड के रूप में डालडा हमेशा नई भारतीय रसोई और घरों की जरूरतों को पूरा करने के लिए विकसित हुआ है। पहले तुम हमारे समकालीन समाज में बदलाव को उजागर करने और यह दिखाने का प्रयास है कि कैसे जागरूक भारतीय पुरुष अपनी महिला समकक्ष को खाने की मेज पर होने वाली बातचीतों में व्यापक तस्वीर का हिस्सा बनाने के लिए कोशिशें कर रहा है।
पहले तुम के माध्यम से इस ब्रांड ने न सिर्फ पुरूषों को महिलाओँ को खाने की जगह पर उनका उचित स्थान दिया है, बल्कि भारतीय घरों में साकारात्मक परिवर्तन लाने और उन पर अमल करने के लिए एक नई मानसिकता पैदा की है। जानेमाने मनोवैझानिक डॉ. रावत ने कहा कि ऐतिहासिक रूप से देखा जाए, तो ऐसा पाया गया है कि भारतीय घरों में हर किसी के साथ अलग तरह का व्यवहार होता है। इससे घरों में विभेदकारी परत बन गयी है। यहां ध्यान देने लायक जरूरी बात यह है कि भारतीय घर और रसोईघर उस बदलाव और रवैये के प्रमुख अग्रदूत रहे हैं, जिसने समाज की विकसित और परिपक्व होती मानसिकताओं में बड़ा योगदान दिया है। पहले तुम ऐसे ही एक महत्वपूर्ण पहलू को प्रतिबिंबित करता है, जिसके नतीजे में मौजूदा लैंगिक पूर्वाग्रहों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
कई घरों में देखा गया है कि महिलाओँ की आदत होती है वे सबको खिला लेने के बाद ही खुद खाने बैठती हैं। ये उनकी परंपरा मानी जाती है लेकिन यह उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं। पहले तुम अभियान के तहत यह हर उस परिवार को प्रोत्साहित करता है और इस बात का संदेश देता है कि वह महिलाओँ को खाने की मेज पर होने वाली बातचीत का हिस्सा बनाए। पहले तुम के जरिए बड़ी ही खूबसूरती से इस बात को दर्शाया गया है कि महिलाएं सिर्फ खाना बनाने के लिए नहीं होतीं। अपने बाद उन्हें खाने के बोलना बेशक एक परंपरा का हिस्सा होगा लेकिन इससे एकता नहीं आती है। 
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