लोक संस्कृति शोध संस्थान की सचिव सुधा द्विवेदी ने बताया कि फागोत्सव के छठवें दिन कार्यक्रम का शुभारम्भ गणेष जी की होली से हुआ। डा. विद्याविन्दु सिंह ने लोक परम्पराओं में फागुन व चैत्र माह की सरसता का वर्णन करते हुए उछहर बहत बयरिया हो रामा चइत कै रतिया सुनाया। डा. करुणा पांडे, अरुणा उपाध्याय, सरोज खुल्बे ने होरी खेलत सियाराम अवध मा, रेखा अग्रवाल ने एकली खड़ी रे मीराबाई सुनाया।
इसके बाद मीरा की होली गायन प्रतियोगिता में फागुन के दिन चार होली खेल मना रे, बिन करताल पखावज बाजै अनहद की झंकार रे… को राग पीलू, विहाग, खमाज व अन्य लोकधुनों में पिरोकर प्रतिभागियों ने क्रमषः प्रस्तुत किया जिसमें प्रीति श्रीवास्तव, रेखा मिश्रा, सरिता अग्रवाल, रुपाली रंजन श्रीवास्तव, अपर्णा सिंह, कल्पना सक्सेना, प्रो. विनीता सिंह, रीता श्रीवास्तव, सुरभि सिंह, निधि निगम, सुधा, गौरव गुप्ता, सुनीता पांडेय, मंजू श्रीवास्तव, मधु श्रीवास्तव, साधना मिश्रा विन्ध्य,पूनम सिंह नेगी, इन्दु सारस्वत, रीता पांडेय, विभा श्रीवास्तव, रत्ना शुक्ला, गोपाली चन्द्रा, नवनीता जफा, पल्लवी निगम, भारती श्रीवास्तव, चित्रा जायसवाल आदि प्रमुख रहे।