scriptPitru Paksh 2017 गर्भवती है आपकी पत्नी तो ना करें पिंड का दान-पंडित प्रदीप तिवारी | Pitru Paksh 2017 pitra patch Shraddh start date time shubh mahurt garun puran and gya pinddan trapan vidhi mahatva or bhagwan ram story in hindi | Patrika News

Pitru Paksh 2017 गर्भवती है आपकी पत्नी तो ना करें पिंड का दान-पंडित प्रदीप तिवारी

locationलखनऊPublished: Sep 06, 2017 12:44:00 pm

Submitted by:

Santoshi Das

क्या है पितृपक्ष ? What is Pitru Paksha

Pitra Paksh 2018

pitru paksh 2017

क्या है पितृपक्ष ? What is Pitru Paksha
पितृपक्ष 15 दिनों का ऐसा चक्र है जिसमें लोग अपने दिवंगत पितरों की शांति के लिए उनका तर्पण करते हैं और उनका श्राद्ध देते हैं. अगर अपने पितृपक्ष में गया जाकर पिंडदान कर दिया तो आपके पितरों को मोक्ष मिल जाता है.

इस बार पितृपक्ष की शुरुआत दो दिनों से हो रही है. कुछ लोग इसे कृष्ण पक्ष प्रतिपदा यानी बुधवार से मना रहे हैं तो कुछ लोग पितृपक्ष की शुरुआत गुरुवार से करेंगे। समय और नियम के अनुसार दोनों दिनों से ही पितृ पक्ष पर पितरों को श्राद्ध करना और उनको तर्पण करना लाभकारी माना गया है. मगर इस पितृपक्ष में पिंड दान करने वाले लोगों को कुछ ख़ास बात का भी ध्यान रखना होगा।

ज्योतिषाचार्य पंडित प्रदीप तिवारी ने बताया कि अगर कोई ऐसा पुरुष जिनकी पत्नी गर्भवती है तो वह श्राद्ध करे लेकिन पिंडदान करने से बचे. ऐसा माना गया है कि पिंड का आकार गर्भ के समाना होता है इसलिए गर्भस्थ स्त्री के पति के लिए पिंडदान करना हानिकारक हो सकता है 
ज्योतिषाचार्य प्रदीप ने बताया क़ि पितृपक्ष 20 सितंबर को समाप्त होगा। सनातन धर्म में ऐसा माना गया है कि देव पूजन में एक बार त्रुटि माफ़ हो सकती है लेकिन पितृ पूजन में की गई गलती माफ़ नहीं होती। इसलिए पितृपक्ष में पितरों के श्राद्ध और अन्य पूजन पाठ में बेहद ध्यान देना पड़ता है. पितृ अगर नाराज हुए तो पितृ दोष झेलना पड़ सकता है.

गरुण पुराण में छह प्रकार के दोष होते हैं Garun Puran Types

-कुल वृद्धि नहीं होना 
-घर में दरिद्रा 
– मंगलकार्य में रुकावट आना 
-आरोग्यता 
-घर में कलेश 
-पूजन अनुष्ठान का कोई फल न मिलना 


माता-पिता जीवित हैं तो भी करें श्राद्ध 
प्रदीप तिवारी का कहना है श्राद्ध का मतलब है कि आप अपने पितरों के प्रति श्रद्धा दिखा रहे हैं. ऐसे में यह ज़रूरी नहीं कि आप अपने दिवंगत माता-पिता के प्रति श्रद्धा दिखाएं। अगर आपके माता पिता जीवित हैं तो उनको इन दिनों खुश रखने का प्रयास करें। वैसे तो माता पिता को हमेशा खुश रखना चाहिए मगर श्राद्ध के दिनों में आप अगर ऐसा करेंगे तो आपको इसका फल मिलेगा। अपने जीवित पितरों को श्राद्ध आप उनको फल, अन्न और उनकी ज़रुरत का सामान देकर कर सकते हैं. ऐसा करके आप उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकेंगे।
गया में श्राद्ध किया तो पितृ होते हैं प्रसन्न – 
अगर आप चाहते हैं कि आप पर आपके पितरों का आशीर्वाद रहे, पितृदोष मिटे तो ज़रूरी है कि उनकी प्रसन्नता और मुक्ति के लिए उनका श्राद्ध गया में करें। 
भगवान्रा राम से जुडी श्राद्ध की कहानी – Bhagwan Ram story in Hindi,

गरुण पुराण में श्राद्ध का महत्त्व भगवान् राम के वनवास की एक कहानी द्वारा बताया गया है. वनवास काल में भगवान राम ने श्राद्ध के दिनों में ऋषियों को भोजन पर आमंत्रित किया। माता सीता से उन्होंने सभी को भोजन परोसने को कहा. माता सीता ने कुछ ब्राह्मणों को बोझन दिया और अचानक वह वहां से चली गई. यह देख भगवान् राम और लक्ष्मण असमंजस में पड़ गए. इसके बाद लक्ष्मण जी ने सभी ऋषियों को भोजन कराया और उनको विदा किया। इसके बाद भगवान् राम ने माता सीता से ऐसा करने का कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि जो ऋषि आये थे उनमें मैंने आपके पिता और अपने पिता की छवि देखी। साथ आपके पूर्वजों को भी. मैं इस वेश में थी जिसमें मेरे शरीर का अंग दिख रहा था इसलिए मैं उनको भोजन नहीं दे पाई और मुझे ओट में जाना पड़ गया. इस कहानी के मूल में यह बात है कि आप जिन भी ब्राह्मणों को भोजन कराते हैं उनमें पितरों की झलक होती है.
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो