इनका संचालन विश्वविद्यालय द्वारा उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी, भारतेंदु नाट्य अकादमी, राज्य ललित कला अकादमी, जैन अनुसंधान संस्थान, बुद्ध अनुसंधान संस्थान, राष्ट्रीय कथक संस्थान, संत कबीर अकादमी और अयोध्या शोध संस्थान जैसे स्वायत्त सांस्कृतिक संस्थानों के सहयोग से किया जाएगा। पाठ्यक्रमों की अवधि एक से पांच वर्ष तक की होगी।
इसे भी पढ़े:उत्तर प्रदेश में हिंदुत्व को लेकर लोगों की राय जुदा,पढ़िए पूरी खबर रजिस्ट्रार तुहिन श्रीवास्तव ने कहा, पाली, पांडुलिपि और पुरालेख, संग्रहालय, दर्शन और धर्म जैसे कई स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के लिए उम्मीदवारों को वाराणसी, गया और दिल्ली जैसी जगहों पर जाना पड़ता था । अब ऐसे सभी कोर्स लखनऊ में उपलब्ध होंगे ।
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उन्होंने आगे कहा इन कार्यक्रमों के बारे में अंतिम निर्णय सोमवार को अकादमिक परिषद की बैठक में लिया जाएगा । पाठ्यक्रम छात्रों को हमारे देश की संस्कृति और विरासत को बेहतर तरीके से सीखने में मदद करेंगे । प्रवेश प्रक्रिया जुलाई के पहले सप्ताह में शुरू होगी ।
उन्होंने आगे कहा इन कार्यक्रमों के बारे में अंतिम निर्णय सोमवार को अकादमिक परिषद की बैठक में लिया जाएगा । पाठ्यक्रम छात्रों को हमारे देश की संस्कृति और विरासत को बेहतर तरीके से सीखने में मदद करेंगे । प्रवेश प्रक्रिया जुलाई के पहले सप्ताह में शुरू होगी ।
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